ग़ाज़ियाबाद : बृजेश कुमार। अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन की मेरठ मंडल अध्यक्ष पत्रकार सोनिया उर्फ अपूर्वा चौधरी ने जौनपुर में पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव की गोली मारकर हत्या किए जाने पर घोर निन्दा की है और सरकार एवं प्रशासन से गुनहगारों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

उन्होंने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में चौथा स्तंभ खतरे में है। वहीं उत्तर प्रदेश की हालत बद से बदतर है। आए दिन पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। कहीं पत्रकारों को गोली मारी जाती है। कहीं लाठी डंडे मारे जाते हैं। कहीं गाली-गलौज की जाती है तो कहीं प्रशासनिक अधिकारी भी पत्रकारों के ऊपर फर्जी मुकदमें करने में पीछे नहीं रहते। आज चौथा स्तम्भ खतरे में पड़ गया है। पत्रकारों पर आए दिन हमले और हत्या गंभीर चिंता का विषय है। सोमवार को उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती है। प्रतापगढ़ में पत्रकार बसंत सिंह पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई जाती हैं। वहीं दो दिन पहले गाजियाबाद में एक समाचार पत्र के आफिस में घुसकर पत्रकारों को पीटा जाता है। ऐसा लग रहा है मानो उत्तरप्रदेश में योगीराज नहीं गुंडाराज चल रहा है। 

पत्रकारों के ख़िलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जाता है और उन्हें निशाना बनाया जाता है। आज भारत भी उन देशों में शामिल है जहां पत्रकारों पर हमले और उनकी हत्या मानो आम बात हो गई है। इतना ही नहीं भारत उन देशों में है जहां पत्रकारों के हत्यारे को सज़ा भी नहीं दी जाती। भारत देश को आजादी मिले तो सालों बीत गए लेकिन देश की जनता अभी भी आज़ाद नहीं दिखाई दे रही है। भारत देश में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार ही सुरक्षित नहीं है तो जाहिर सी बात है आम लोगों की क्या सुनवाई होती होगी? उत्तर प्रदेश वही राज्य है जिसका जिक्र आज मुख्यमंत्री योगी अपनी हर सभा में करते हैं और कहते हैं कि उत्तर प्रदेश अब उत्तम प्रदेश बन गया है। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़े शब्दों में कह दिया कि पत्रकारों के साथ कहीं भी किसी भी प्रकार के मामले हों, प्रशासन उसे गंभीरता से देखे। पत्रकार के मामले बड़े ही संवेदनशील होते हैं लेकिन ऐसा है नहीं। लगातार आज लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाया और कुचला जा रहा है। अगर कोई पत्रकार सच्चाई लिखने या दिखाने की कोशिश करता है तो उसे रोकने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपनाए जाते हैं। आज ना तो सरकार पत्रकारों के साथ है और न ही प्रशासन।

भारत में पत्रकारों की हत्या के 80 फीसदी मामलों में आरोपी, दोषी नहीं ठहराए गए। भारत प्रेस फ्रीडम में लुढ़क रहा है और उन देशों में शामिल होता जा रहा है जहां प्रेस को बोलने की आज़ादी नहीं है और उनके बोलने पर अंकुश लगाई जा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पत्रकारों को अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा।

आपको बता दें कि अपूर्वा चौधरी एक तेज तर्रार निष्पक्ष एवं निडर पत्रकार हैं और और भारत का बदलता शासन हिंदी दैनिक समाचार पत्र में समाचार सम्पादक के पद पर कार्यरत हैं। वे लगातार राष्ट्र हित और समाज हित की खबरों के साथ-साथ नशाखोरों, मिलावटखोरों, भूमाफियाओं और समाज में जो भी ग़लत हो रहा उन मुद्दों को खबरों के माध्यम से प्रमुखता से उठाती हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की खबरों के प्रकाशन से आये दिन उन्हें भी उत्पीड़न सहना पड़ता है लेकिन वे पूरी बेबाकी के साथ निडर होकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए कार्य कर रही हैं। 

उन्होंने कहा कि आज निष्पक्ष पत्रकारिता करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। लेकिन अगर आज हमने सच्चाई लिखनी छोड़ दी तो देश की जनता का विश्वास मीडिया से खत्म हो जाएगा और ऐसा हम होने नहीं देंगे। चाहे हमें कितने भी बलिदान देने पड़े, भारत की जनता का भरोसा टूटने नहीं देंगे।



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