प्रचलित मान्यताओं के अनुसार हिंडन नदी को पंच तीर्थी कहते हैं। इसका संस्कृत में नाम हरनंदी है और बहुत ही पवित्र नदियों में मानी जाती है। परन्तु पॉल्युशन ने इस नदी को वर्तमान स्थिति में पहुँचा दिया है। 

इस नदी के किनारे पर पाँच तीर्थ हैं, जहाँ बहुत प्राचीन शिव मन्दिर हैं। जिनमें सर्व प्रथम पुरा महादेव भगवान परशुराम द्वारा स्थापित, पंचमुखी महादेव मंदिर बलनी भगवान वाल्मीकि द्वारा स्थापित, घुमेश्वर महादेव मंदिर सुराना पुरा महादेव का समकालीन पुराना मंदिर, दूधेश्वर महादेव मंदिर ग़ाज़ियाबाद जहॉ पर ऋषि विश्रवा ( रावण के पिता) पुजा करते थे, बिसरक में महादेव मंदिर अष्ट कोण शिवलिंग रावण द्वारा स्थापित और मान्यता अनुसार रावण की जन्म भूमि।  

यदि दर्शनों के लिए जाना हो तो सबसे पहले बिसरक महादेव मंदिर, फिर दूधेशवर महादेव मन्दिर ग़ाज़ियाबाद, तत्पश्चात् सुराना महादेव मन्दिर, फिर पंच मुखी महादेव मंदिर और पुरा महादेव मंदिर। 

इसके बाद लाक्षागृह वारणावरत (बरनावा) वहीं पर प्रसिद्ध जैन मंदिर। वहाँ से मेरठ ओघडनाथ मंदिर (जहां से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरु हुआ था)।

ये सभी शिवलिंग त्रेता युग या उससे पुराने हैं। बिसरक गांव में स्थापित शिवलिंग पुलसत ऋषि एवम् ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित हैं। जिसमें रावण ने पूजा की। रावण की जन्म स्थली भी यही मानी जाती है। पूरा महादेव भगवान परशुराम जी द्वारा स्थापित है और पहली कॉवड उन्होंने ही चढ़ाई थी। तभी से कावड में जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाना प्रारंभ हुआ। 

पंचमुखी महादेव शिवलिंग बालमीकि जी द्वारा स्थापित है। जहां लव कुश का जन्म हुआ और सीता जी का वनवास का स्थान है तथा माता सीता यही पर पृथ्वी में समाई। सुराना स्थित शिवलिंग घुमेश्वर है। जो स्वयंभू शिवलिंग है। दूधेश्वर शिवलिंग भी स्वयंभू शिवलिंग है और त्रेता युग से पुराना है। सभी स्थान बहुत ही पूजनीय हैं। परन्तु जितना इनका प्रचार प्रसार होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है।

लेखक: -

जय नारायण वत्स



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