गुरूकुलीय शिक्षा प्रणाली को स्वामी श्रद्धानंद ने पुनर्जीवित किया- स्वामी आर्यवेश

श्रद्धानंद का जीवन प्रेरणा दायक है- डॉ हर्षवर्धन (सांसद)

हमें महापुरुषों के सकारात्मक विचारों को ग्रहण करना चाहिए- आचार्य अखिलेश्वर

श्रद्धानंद बलिदान भवन को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करो - राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

दिल्ली : बृजेश कुमार। बृहस्पतिवार 22 फरवरी 2024 को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद के 168वें जन्मोत्सव पर 31 कुण्डीय राष्ट्र रक्षा यज्ञ दर्शनाचार्या विमलेश बंसल के ब्रह्मत्व में गीता भारती स्कूल अशोक विहार में संपन्न हुआ। 

उन्होंने कहा कि हर्ष का विषय है कि आज हम स्वामी श्रद्धानंद का जन्मोत्सव मना रहे हैं। ऋषि दयानंद से प्रेरणा पाकर स्वामी श्रद्धानंद ने गुरुकुल खुलवाए। एक रचना 'श्रद्धा का पान कराने को, स्वामी श्रद्धानंद जी आए' सुनाकर भावविभोर कर दिया।

युवा गायक संजय स्वर्ण सेतिया ने ओजपूर्ण गीतों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही गायिका प्रवीन आर्या ने गीत प्रस्तुत किये।

मुख्य वक्ता आचार्य अखिलेश्वर जी महाराज ने सुन्दर समारोह में उपस्थित पुण्य आत्माओं को नमन करते हुए तथा 'मधुर वेद वीणा बजाए चला जा' गीत बुलवाकर कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी का जन्म 22 फरवरी 1856 को जालन्धर के तलवन ग्राम में हुआ था। वे महान स्वतंत्रता सेनानी रहे। उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक पर रौलट एक्ट के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और अंग्रेजी सिपाहियों को छाती तान के बोला लो खड़ा हूँ गोली चला लो और उनकी निर्भीकता के आगे सिपाहियों की संगीने झुक गईं। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने महापुरुषों के सकारात्मक विचारों को ग्रहण करना चाहिए।

सार्वदेशिक आर्य पुरोहित सभा के अध्यक्ष प्रेमपाल शास्त्री ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद 1922 में सिखों के "गुरु का बाग" आंदोलन का नेतृत्व किया और गिरफ्तारी दी। आज के संदर्भ में स्वामी श्रद्धानंद जी का जीवन प्रेरणा देने वाला है वह सब कुछ होम कर सही मायनों में समाज के लिए ही जिये। वह महर्षि दयानंद जी के सच्चे अनुगामी स्वाधीनता, स्वदेशी, स्वराज्य, शिक्षा व वैदिक  धर्म प्रचारक के लिए समर्पित रहे।

आचार्य गवेंद्र शास्त्री ने कहा कि अद्भुत प्रतीभा के धनी थे स्वामी श्रद्धानंद। वे धर्मवीर, कर्मवीर तथा दानवीर थे।

सांसद डा. हर्षवर्धन ने  दीप प्रज्वलित कर अपने उदबोधन में कहा कि स्वामी श्रद्धानंद की 168वीं जयंती पर राष्ट्र रक्षा यज्ञ किया है बहुत ही महत्वपूर्ण है।स्वामी जी ने शुद्धिकरण का काम करके हिन्दू धर्म में 168 हजार घर वापसी कराए थे। उनका जीवन प्रेरणा दायक है। उन्होंने स्वस्थ रहने हेतु क्या, कब और कितना खाना चाहिए पर भी चर्चा की।

मुख्य अतिथि स्वामी आर्यवेश (प्रधान सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा) ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान दिवस पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन जन्म दिवस की पहल परिषद ने की है। इसके लिए अधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।स्वामी जी ने घर वापसी का अभियान चलाया। जो लोग किन्हीं कारणों से हिन्दू धर्म छोड़ गये थे उनके लिए वापिस हिन्दू धर्म में आने के लिए "शुद्धि आंदोलन" की शुरुआत की थी। उन्होंने अपना सर्वस्व त्यागकर गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर लगा दिया। उनकी शिक्षा प्रणाली देशभक्त और चरित्रवान बनाने की थी। उन्होंने लुप्त होती पुरातत्व गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया और गुरुकुल कांगड़ी की इसके लिए स्थापना की। स्वामी जी ने ही जालंधर में महिला कॉलेज की स्थापना की।उन्होंने आर्य जनों से स्वामी श्रद्धानंद को भारत रत्न से सम्मानित करने के लिए सरकार से मांग करने के लिए प्रयत्नशील रहने को कहा।

समारोह में आर्य युवकों का व्यायाम प्रदर्शन आकर्षण का केन्द्र रहा।

मंच का कुशल संचालन करते हुए  राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा भारतीय इतिहास में पहली बार दिल्ली की जामा मस्जिद के मिम्बर पर गैर मुस्लिम स्वामी श्रद्धानंद ने वेद मंत्रों के साथ हिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश दिया। यह सामाजिक समरसता का अनमोल उदाहरण है। दलितों के उत्थान के लिए भी अनेकों विद्यालय खोले और मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया। उन्होंने श्रद्धानंद जन्मोत्सव पर केन्द्र सरकार से मांग की कि नया बाजार स्थित स्वामी श्रद्धानंद बलिदान भवन को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करो

अपने अध्यक्षीय उदबोधन में यशोवीर आर्य ने युवाओं से उनके गुणों को आत्मसात करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर योगेश वर्मा पार्षद, ओम सपड़ा, अमर नाथ बत्रा, नरेंद्र आर्य सुमन, योगेश वर्म, पूनम भारद्वाज ने भी अपने विचारों से स्वामी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

महामंत्री महेन्द्र भाई ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रवीण आर्य, कुसुम भंडारी, देवेन्द्र भगत, रामकुमार आर्य आदि उपस्थित रहे।

शांतिपाठ एवं ऋषि लंगर के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।



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