नई दिल्ली : बृजेश श्रीवास्तव। संस्कृत को 'डेड लैंग्वेज' घोषित करवाने वाले अंग्रेज नहीं, बल्कि इस देश के सत्तासीन लोग ही थे। अब उस द्वेषभाव और दुराग्रह से बाहर निकलने का सुअवसर है। संस्कृत को भारत केंद्रित दृष्टि और हमारे विद्वानों एवं संस्कृत अनुरागियों को प्रतिबद्ध संस्कृत सैनिक बनकर अथाह परिश्रम करना होगा।

ये विचार विश्व हिन्दू परिषद के संस्कृत आयाम द्वारा नई दिल्ली के वसंत विहार स्थित ललित महाजन सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि रूप में विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री स्वामी विज्ञानानंद ने व्यक्त किए।

अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास बरखेड़ी ने कहा कि संस्कृत को आधुनिक समय के अनुरूप प्रासंगिक विषयों के साथ सहज सरल और सूचना तकनीक से जोड़ना होगा।

वर्ग के सर्वाधिकारी और विहिप संस्कृत आयाम के राष्ट्रीय प्रमुख प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रशिक्षण वर्ग में प्रशिक्षित हुए प्रशिक्षार्थी देश के 14 प्रांतों में अलग-अलग क्षेत्रों में संस्कृत को  बढ़ाने का काम करेंगे। 

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में प्रकाशन विभाग के निदेशक प्रो. काशीनाथ न्योपाने ने संस्कृत आयाम द्वारा चार दशकों से संस्कृत के लिए चलाए जा रहे इस अभियान पर सबको बधाई दी।

इससे पूर्व वैदिक मंत्रोच्चार और सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुए समापन समारोह में आयाम के सह प्रमुख डॉ. दिनेश शास्त्री ने अतिथियों का स्वागत और डॉ. सूर्यमणि भंडारी ने मंच संचालन किया। वर्गाधिकारी प्रो.गणेशदत्त भारद्वाज के दीक्षांत भाषण के उपरांत अतिथियों ने शिक्षकों का सम्मान किया और प्रशिक्षकों को प्रमाणपत्र प्रदान किए।

संस्कृत आयाम के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि आयाम हमेशा की तरह देशभर में लोकसभा के लिए चुने गए सभी नवनिर्वाचित सांसदों को अपनी ओर से और लोकसभा क्षेत्र की जनता के माध्यम से भी संस्कृत भाषा में शपथ लेने हेतु अभियान चलाएगा।



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