ग़ाज़ियाबाद : बृजेश कुमार। शनिवार 15 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के तत्वाधान में स्वयंसेवकों के सर्वांगीण विकास हेतु चल रहे 20 दिवसीय (26 मई से 16 जून 2024 तक) कार्यकर्ता विकास वर्ग - प्रथम (सामान्य) के समापन समारोह का आयोजन नेहरू स्टेडियम, गाज़ियाबाद में किया गया। 

इनमें प्रशिक्षु प्रवासी कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण लिया। प्रकट समारोह में शिक्षार्थियों द्वारा अतिथियों के स्वागत के रूप में स्वागत प्रणाम तथा घोष वादन किया गया। कार्यक्रम में ध्वजारोहण के पश्चात उन्होंने ध्वज की परिक्रमा कर गुरु वन्दन किया। उसके पश्चात घोष संरचना, व्यायाम योगासन, दंड युद्ध, दंड योग, दण्ड खेल, गण समता, नियुद्ध आदि का प्रदर्शन देख दर्शक दीर्घा में उपस्थित आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर सहित उपस्थित सभी धर्मगुरु एवं स्वयंसेवकों ने ताली बजाकर उत्साहवर्धन किया। 

सामूहिक रूप से एक स्वर में गीत "सूत्रपात नवयुग वेला का संवाहक हम सभी बनें" कृष्णा जी ने गाकर प्रदर्शन किया। वर्ग कार्यवाह भूपेंद्र (प्रान्त सह-कार्यवाह) प्रमुख संघ पदाधिकारी व अतिथिगण का परिचय एवं मंचस्थ अतिथियों का परिचय कृष्ण कुमार (प्रान्त बौद्धिक शिक्षण प्रमुख) द्वारा करवाकर प्रतिवेदन का वाचन किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज (अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, वाराणसी और पीठाधीश्वर श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर, गाजियाबाद) ने संबोधित करते हुए कहा कि अपना अपना परिवार छोड़ कर इतनी भीषण गर्मी में रह रहे हैं और जिन्होंने भोजन की व्यवस्था की ऐसी माता-बहनों को प्रणाम। यहां सभी शिक्षार्थी तपस्वी हैं ऐसा कहने में हमें संकोच नहीं है।

आगे कहा कि एक मां ने अपने मन में संकल्प लिया और शिवाजी को ऐसा वीर बनाया जिसने पूरे देश का कायाकल्प कर दिया। माता जीजा ने शिवाजी को एक महान चरित्रवान पुत्र बनाया। शिवाजी महाराज ने 15 वर्ष की आयु में 25 किले जीत लिये और अपने जीवन में कभी हार स्वीकार नहीं की। 

देश भक्त डॉक्टर साहब केशव ने वन्दे मातरम् से अंग्रेज अफ़सर का स्वागत किया। डॉक्टर साहब ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत खंडित हो जाएगा। भारत के लिए बलिदान देने वाला हिन्दू ही हो सकता है। आज हिंदू एकत्रित हो रहा है संघटित हो रहा है। स्वयंसेवक के शरीर में मिट्टी लगते-लगते मिट्टी से ऐसा प्रेम हो जाता है कि इस मिट्टी के लिये अपने प्राण दे देता है।

समापन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री अजित महापात्रा (अखिल भारतीय गौ-सेवा प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने अपने उद्भोधन में कहा कि समाज में कही भी कोई दुख होता है तो स्वयंसेवक पहुँचता ही है। समाज में छोटे-छोटे कार्यक्रम के माध्यम से अद्भुत परिवर्तन होता है। यदि समाज चाहे तो कुछ भी कर सकता है। हमने गाय को भिखारी बना दिया है उसे पाला नहीं। गाय के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और गौ-शाला नहीं गौ-सेवा केंद्र बनना चाहिए।

संस्कार की इस पाठशाला में क्षेत्र (ब्रज, मेरठ एवं उत्तराखण्ड प्रान्त) के 39 जनपदों से लगभग 250 स्वयंसेवक राष्ट्र प्रथम का भाव लिए अनुशासन, दैनिक दिनचर्या, देश-समाज हित, एकरूपता, वसुधैव कुटुंबकम एवं बौद्धिक ज्ञान के साथ-साथ पंच परिवर्तन (सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी, पर्यावरण और कुटुम्ब प्रबोधन) का वातावरण कैसे बनाया जाए इसकी शिक्षा ली है।  

प्रशिक्षण वर्ग का नाम 1950 के बाद तत्कालीन सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने “संघ शिक्षा वर्ग” दिया। संघ शिक्षा वर्ग प्रति वर्ष लगाया जाता है। यह प्रशिक्षण वर्ग तीन श्रेणियों में होता है। प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष। प्रथम वर्ष संघ के सभी प्रांत (संघ ने अपने कामकाज की सुविधा से देश को अलग अलग प्रांतों में बांटा है) में होता है। इसके लिए जिला स्तर पर सूची तैयार होती है। प्रथम वर्ष के बाद ही स्वयंसेवक द्वितीय वर्ष कर सकते हैं, जो क्षेत्र स्तर का होता है। कई प्रांत को मिलकर एक क्षेत्र बनता है। प्रथम, द्वितीय वर्ष करने के बाद ही तृतीय वर्ष किया जा सकता है। इन्हीं शिक्षा वर्गों के नाम बदले गए हैं। जो पहले प्रथम वर्ष था उसे अब ‘संघ शिक्षा वर्ग’ कहते हैं। यह पहले 20 दिन का होता था इसे अब 15 दिन का कर दिया गया है। द्वितीय वर्ष का नाम बदलकर ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ किया गया है। ये पहले की तरह अब भी 20 दिन का होता है। तृतीय वर्ष का नाम बदलकर ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ किया गया है। ये भी पहले की तरह 25 दिन का होता है।

समापन कार्यक्रम में वर्ग के सर्वाधिकारी डाॅ नरेंद्र तनेजा (प्रान्त सह-संघचालक, मेरठ प्रान्त), धुरेन्द्र जी (गाजियाबाद महानगर संघचालक) प्रमुख क्षेत्राधिकारी महेन्द्र (क्षेत्र प्रचारक), वर्ग पालक पद्म (क्षेत्र प्रचार प्रमुख), आनंद (संपर्क प्रमुख), नरेश (शारीरिक प्रमुख), तपन (सह-प्रचार प्रमुख), चंद्र शेखर (गौ सेवा प्रमुख), वर्ग के व्यवस्था प्रमुख योगेंद्र, सह व्यवस्था प्रमुख नवीन आदि के साथ-साथ दर्शक दीर्घा में आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर व अन्य धर्मगुरु एवं संघ के स्वयंसेवक सहित समाज के लगभग 3500 व्यक्ति उपस्थित रहे।



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