गाजियाबाद: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से लोग त्रस्त हैं, हर तरफ प्रदुषण से हाहाकार मचा हुआ हैं जब पूरा एन सी आर ऑड-ईवन , स्मॉग टॉवर और वृक्षारोपण अभियान की बात कर रहा हैं तब एक आवासीय सोसाइटी का यह कृत्य चौंकाने वाला हैं कि गाजियाबाद की शिप्रा कृष्णा विस्ता सोसाइटी में हरियाली पर खुद सोसाइटी प्रबंधन (AOA) की आरी चल गई। छंटाई के नाम पर दर्जनों घने हरे पेड़ों को काट दिया गया, जिससे निवासियों में जबरदस्त नाराजगी है। निवासियों को झकझोर दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह “छंटाई” नहीं, बल्कि “पेड़ों का संहार” है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पूरा एनसीआर प्रदूषण से जूझ रहा है और सरकारें वृक्षारोपण को बढ़ावा देने में लगी हैं, तब एक आवासीय सोसाइटी द्वारा इस तरह पेड़ों को काटना अत्यंत निराशाजनक है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह कोई “छंटाई” नहीं हैं बल्कि सुनियोजित हरियाली का नर संहार हैं एक निवासी के अनुसार विशाल पीपल , नीम और अमलतास के पेड़ो रातो-रात गायब हो गए हैं अब सोसाइटी की दूषित पर्यावरण से पक्षी चले गए हैं और प्रदुषण का स्तर खतरनाक हो गया है।
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सोसाइटी के एक निवासी ने कहा, “जब पूरा दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण से जूझ रहा है, तब पेड़ पौधों पर पानी डालने की बजाय हम उन्हें काटने में लगे हैं। यह बेहद निराशाजनक है।”
दूसरे निवासी ने बताया, “हरियाली बनाए रखने के बजाय AOA बार-बार पेड़ों पर आरी चला रही है। यह फैसला बिना निवासियों की राय के लिया गया है।”
वहीं एक महिला निवासी का कहना है, “सोसाइटी में हॉर्टिकल्चर का मतलब बस पेड़ काटना रह गया है, रखरखाव शून्य है और हॉर्टिकल्चर के नाम पर हजारो रुपए बर्बाद किए जा रहे हैं।
एक अन्य निवासी ने बताया, “ई ब्लॉक के मोड़ पर एक सुंदर हरसिंगार का पेड़ था, जिसकी खुशबू से पूरा परिसर महक उठता था। अब वो पेड़ भी बेरहमी से काट दिया गया है। यह किसी भी तरह प्रूनिंग नहीं है, यह सीधा विनाश है।
निवासियों ने सोसाइटी प्रंबंधन समिति ( आर.डव्लू.ए) पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा कि बिना किसी मीटिंग , नोटिस और निवासियों की सहमति के यह कार्यवाही की गई हैं सोसाइटी की प्रंबंधन समिति ने पेड़ो की कटाई करने वाले ठेकेदार को मर्जी से काटने की खुली छुट दे रखी हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल विडियो और तस्वीरों में कटे हुए पेड़ो के ढेर को रोते बिलखते बच्चे दिख रहे हैं और ठेकेदार ने बताया है कि काटी हुईं पेड़ो की कटी लकडिया बाज़ार में बेचीं भी जा सकती हैं।
निवासियों का कहना है कि जहां सरकारें प्रदूषण घटाने के लिए वृक्षारोपण की अपील कर रही हैं, वहीं सोसाइटी में पेड़ों को ही खत्म किया जा रहा है। लोगों ने इसे “इकोलॉजिकल क्राइम” बताया। रेजिडेंट्स ने इस मामले में प्रशासन से हस्तक्षेप करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। निवासियों ने AOA की कार्रवाई को तानाशाही बताते हुए इसे “पर्यावरणीय अपराध” करार दिया है और प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
निवासियों ने नेशनल हरित ट्रिब्यूनल , वन विभाग , ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण , ग़ाज़ियाबाद नगर निगम और पुलिस से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई हैं और उनकी मांग हैं कि आर.डव्लू.ए के खिलाफ FIR हो और दोषी ठेकेदार पर 50 हज़ार रुपए प्रति पेड़ का जुर्माना लगे और प्रति हरे भरे कटे पेड़ की जगह 10 नए पेड़ लगाये , सोसाइटी में तुरंत CCTV फुटेज जब्त की जाये।
लोगों ने मांग की है कि भविष्य में ऐसी छंटाई के वक्त हॉर्टिकल्चर टीम की मौजूदगी जरूरी की जाए, ताकि पेड़ों को अनावश्यक नुकसान न पहुंचे।
निवासियों ने नेशनल हरित ट्रिब्यूनल , वन विभाग , ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण , ग़ाज़ियाबाद नगर निगम और पुलिस से तत्काल हस्तक्षेप की लगाई गुहार।
निवासियों की मांग हैं कि: -
- आर.डव्लू.ए के खिलाफ F.I.R हो
- दोषी ठेकेदार पर 50 हज़ार रुपए प्रति पेड़ का जुर्माना लगे
- हरे भरे कटे पेड़ की जगह 10 नए पेड़ लगाये
- सोसाइटी में तुरंत CCTV फुटेज जब्त की जाये




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