अपूर्वा चौधरी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर दिनदहाड़े गोलियां बरसाई जा रही हैं, तो आम नागरिकों की इस सरकार से सुरक्षा की क्या उम्मीद की जाए? उन्होंने कहा कि क्या डबल इंजन सरकार की कानून व्यवस्था यही है? पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी को गोलियों से भून दिया गया और सरकार खामोश है। अगर एक पत्रकार सुरक्षित नहीं है तो आम जनता का क्या होगा? उन्होंने सीएम योगी से दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने हत्यारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, साथ ही उन्होंने मृतक पत्रकार के परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग रखी। साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की मांग भी की।
अपूर्वा चौधरी ने आगे कहा कि पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेयी एक बहादुर पत्रकार थे, जिन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर किया। लेकिन सरकार और प्रशासन ऐसे ईमानदार पत्रकार साथियों का सहयोग ना करके भ्रष्टाचारियों और अपराधियों को संरक्षण प्रदान करने में जुटी है। उन्होंने बताया कि पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेयी ने धान खरीद और जमीन खरीद में स्टांप चोरी को उजागर किया था, इसको लेकर उनकी हत्या कर दी गई। अधिकारी, अपराधी तत्वों का गठजोड़ है। उन्होंने कहा कि अगर हत्यारे दो दिन में पकड़े नहीं जाते तो हम सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। लगातार पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार गांधी जी के तीन बंदरों की तरह आंख कान और मुंह बंद करे बैठी है।
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