इंदौर। देखा जाए तो इस वर्ल्ड कप का आगाज बिलकुल ऐसा ही सनसनीखेज बनता था। कमाल ही खेल देखने को मिला कल। सनसनीखेज बात ये कि टूर्नामेंट की सबसे तगड़ी टीम और विश्व विजेता का पहले ही मैच में सरेआम और बुरी तरह पानी उतार दिया गया। जाहिर है न्यूजीलैंड के या इरादे नेक नहीं दिख रहे हैं या इंग्लैंड से उसने पिछले वर्ल्ड कप में अपने साथ हुई नाइंसाफी का हिसाब चुकता किया है। राम जाने। यदि इरादे नेक नहीं हैं तो भारत सहित सारी बड़ी टीमों को थोड़ा और चाक-चौबंद और चौंकन्ना हो जाने की जरूरत है।

असल में इस मैच का सबसे बड़ा इशारा ये है कि न्यूजीलैंड ने सिर्फ मैच नहीं जीता है, बल्कि पूरे वर्ल्ड कप और सारी सूरमा टीमों के लिए एक स्टेटमेंट भी दिया है। जी हां, अंदाज की भी अपनी भाषा होती है और स्टेटमेंट भी। जो हो। बल्लेबाजी का आनंद, अकेले विराट कोहली या रोहित शर्मा ही, देखने वालों को नहीं सुलभ कराते, बल्कि ऐसे उरेप चलने वाले बल्लेबाज दुनिया में कई हैं। कल उनमें से कइयों को खेलते देखना नसीब हुआ। इनमें इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर बहुत ही दिलफ़रेब बल्लेबाज हैं। इस बंदे ने कल एक तेज गेंद को जितने दिलकश अंदाज में मैदान के बाहर, ठीक सामने लगी काली स्क्रीन के पार कुदाया, वो आंखें पकड़ने वाला था। कमेंट्री कर रहे रवि शास्त्री ने कमाल जुमला कहा। वो बोले 'ये बटलर स्पेशल है !' वो शॉट ऐसा ही था।

जी हां, बटलर बहुत स्पेशल बल्लेबाज हैं। इसी तरह जॉनी बेयरस्टो हैं और जो रुट की तो क्लास ही और है। इनको बल्लेबाजी करते देखना बहुत आनंददायी था। हां, रुट जैसा कमाल बल्लेबाज बहुत ही भद्दे तरीके से आउट हुआ। यह देखकर बुरा भी लगा। मैच की बात करें तो 283 रनों का टोटल किसी सूरत बुरा न था। ध्यान रहे गेंदबाजों का बहुत मजबूत टोला इंग्लैंड के पास था। अलबत्ता यह कहना ज्यादा ठीक है कि यह कल न्यूजीलैंड के दो युवा बल्लेबाजों का दिन था। इन्होंने इंग्लैंड के मजबूत गेंदबाजों के टोले का मानो गरुण पुराण ही बांच दिया और सारे अंग्रेजों की नाक काट दिखाई।

इनमें से एक ने तो अपने पहले वर्ल्ड कप के पहले मैच में ही लाजवाब शतक जड़ने का कमाल कारनामा कर दिखाया है। ये हैं रचिन रवींद्र। खेलते ये न्यूजीलैंड के लिए हैं, लेकिन पैदाइश से भारतीय हैं। क्या कमाल का हैंडसम युवा है ये। इनका कहना है कि इनका नाम राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर के नामों को मिलाकर रखा गया है। रचिन। बाएं हाथ का ये प्रतिभाशाली और धाकड़ बल्लेबाज, सचिन को अपना आदर्श मानता है। दूसरे थे डेवोन कानवो। बाएं हाथ का ये बल्लेबाज आईपीएल में धोनी की टीम का 'हथियार'  है और इनकी प्रतिभा से दुनिया पहले से वाकिफ। अलबत्ता कल इन दोनों की बल्लेबाजी ही थी, जिसने इस वर्ल्ड कप के इस आग़ाज़ को ऐसा सनसनीखेज बनाया और उम्दा भी।

दरअसल इनकी बल्लेबाजी कल की सबसे आलादीद रही। जैसे चिड़ियाओं को बाज या बाजों से लड़वा दिया गया। यकीनन ये जीत एक स्टेटमेंट भी है। सो यह कि 'अंग्रेजों, पिछली दफा तुम्हारे सिर पर विश्व विजेता होने का सिर्फ ताज सजा था, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो सिर हमारे सामने उठ जाए। हम ऐसे विश्व विजेताओं की ऐसी गत बनाने के उस्ताद हैं।' आप देखिए कि एक ओपनर विल यंग पहली ही गेंद पर आउट कर दिए गए थे, लेकिन उसके बाद जो हुआ, वो बस कमाल ही था। उसके बाद विकेट लेना तो दूर, गेंदबाज अपनी पिटाई-कुटाई से बचने को तरस गए। शायद 37वें ओवर में ही अंग्रेजों का वो, किसी सूरत बुरा नहीं, टारगेट ब्लैक कैप्स के कदमों में ढेर था। जी हां, 37वें ओवर में 283 रन। गोया कल चार सौ का टोटल भी सेफ न था।

हकीकतन उलटे यानी बाएं हाथ के बल्लेबाज स्वाभाविक रूप से ज्यादा आकर्षक और दर्शनीय होते हैं। कल तो दो थे और ऊपर से युवा भी। सच कहें तो कल इनको खेलते देखकर एक नाम और उसकी खूब यादें आईं। जी हां, युवी ! युवी ! युवी यानी युवराज सिंह। खेल कोई हो, तेवरों की बात ही अलग होती है। आज हैदराबाद में पाकिस्तान भिड़ेगा नीदरलैंड से। इसमें ये है कि पाकिस्तान की फील्डिंग देखने का भी अपना एक आनंद है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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