भारत सदियों से व्यापार के लिए सबसे अच्छा और सबसे समृद्ध स्थान रहा है, चाहे देश के व्यापारियों को या विदेशी व्यापारियों को देश से लाभ हुआ हो। 

जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। पहला देश चीन है। भारत और चीन के बीच व्यापार के मामले में एक बड़ा अंतर है। चीन जहां हर छोटी से छोटी चीज अपने देश में बनाता है, वहीं भारत आज भी विदेशी सामान पर निर्भर है।चीन लंबे समय से अपने नागरिकों को घर में सामान बनाने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है, जबकि भारत इस मामले में पिछड़ा हुआ है। आज की सरकार का प्रयास है कि बाहर से आने वाली वस्तुओं को कम किया जाए और अपने नागरिकों को कौशल सिखाया जाए ताकि स्थानीय लोग जल्दी  से जल्दी अपनी दैनिक जरूरतों की चीजें बनाना शुरू कर सकें। 

प्राचीन काल से भारत व्यापार के लिए एक महान स्थान रहा है। 21वीं सदी की विकसित दुनिया के चकाचौंध भरे और चहल-पहल भरे बाजारों को देखकर दिल्ली साम्राज्य और मुगल काल के बाजारों की कल्पना करना मुश्किल है, जहां आमतौर पर बिकने वाला सामान निजी जरूरतों के हिसाब से मुहैया कराया जाता था। इस काल में मनुष्य की आवश्यकताएं भी सीमित थीं। मध्य युग के शहरों में हम अभी भी कुछ विलासिता की वस्तुओं को बिकते हुए देखते हैं, जिनके उपभोक्ता निसंदेह बेहतर आर्थिक स्थिति वाले रईस और मुखिया थे। लेकिन गांव के बाजारों में स्थिति बिल्कुल अलग है, जिसका विश्लेषण करना आसान नहीं है। आज भी कहा जाता है कि मूल भारत गांवों में बसता है जहां की मुख्य आबादी किसानों की है। गांव में कृषि  उपज के लिए एक बडा बाजार भी है। आज सरकार की ऐसी नीति है कि किसान अपनी उपज को ख़ुद मंडी में ले जा सके और बेच सके। वे अपनी मर्ज़ी से अनाज की कीमत तय कर सकते हैं। उनकेऔर बाजार के बीच अब बिचौलियों का काम नहीं रह गया है। सरकार की इस नीति से छोटे किसान को काफी फ़ायदा हो रहा है। भारत में हमारा फ़सल विविधिकरण पर भी काफ़ी ध्यान है। यह छोटे किसानों को अधिक संसाधन देने और उनकी लागत कम करने के बारे में भी है,  इसलिए हम अधिक से अधिक जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

आज़ादी के बाद पहली बार भारत आज बड़े सपने देखने और उन सपनों को साकार करने का साहस कर रहा है। वर्ना हमारे देश में पिछली सदी का एक लंबा दौर गरीबी की चर्चा करने, दुनिया के बडे-बडे देशों से मदद मांगने में ही बीता। आज़ाद भारत के इतिहास में भी ऐसा पहली बार हो रहा है, जब दुनिया को भी भारत के बड़े संकल्पों पर भरोसा है। इसलिए स्वतंत्रता के स्वर्ण युग में भारतवासियों में विकसित भारत के निर्माण की जितनी उत्कंठा दिख रही है, वैसी ही विश्व में भी दिखाई दे रही है। इस अनुभव का सर्वत्र स्वागत हो रहा है। दुनिया में भारत के बारे में बहुत सकारात्मक विचार व्यक्त किए जा रहे हैं क्योंकि आज सभी को लगता है कि भारत अपनी क्षमता का बहुत अच्छा उपयोग कर रहा है। आज हर कोई यह महसूस कर रहा है कि भारत वह कर रहा है जो तीव्र विकास और समृद्धि के लिए बहुत जरूरी है।

हमने कई बार देखा है जब गरीबों के कल्याण के लिए रखा गया पैसा घोटालों में बरबाद हो गया। करदाताओं से एकत्र किए गए कर के संबंध में संवेदनशील परिणाम के कोई संकेत नहीं थे। आज भारत प्रगतिशील मानसिकता और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ अपने भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर खर्च कर रहा है। आज देश  में जहां घर, शौचालय, बिजली, पानी, रसोई गैस, मुफ्त इलाज,  मेडिकल कॉलेज, एम्स, आईआईटी, आईआईएम जैसी सुविधाएं तेजी से बन रही हैं,  वहीं दूसरी ओर आधुनिक कनेक्टिविटी पर भी उतना ही ज़ोर है। जिस तरह के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कभी कल्पना की जाती थी, आज देश में बन रहा है। दूसरे शब्दों में आज भारत व्यापार के मामले में भी मिसाल है। देश की आज की जरूरत और भविष्य में समृद्धि की संभावनाओं पर एक साथ काम हो रहा है।

ऐसे समय में भी जब दुनिया खराब हो रही है, भारत बुनियादी ढांचे के निर्माण में अभूतपूर्व निवेश कर रहा है। यह आज के भारत के संकल्प को दर्शाता है, विकसित भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विकसित भारत के निर्माण में हमारे शहरों की भूमिका सर्वोपरि है। आज, देश के शहरों का एक पूर्ण ओवरहाल चल रहा है। प्रदूषण से लेकर साफ-सफाई तक शहरों की हर समस्या का समाधान खोजा जा रहा है।

आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले भारत सरकार का बजट आया था, वही प्रतिबद्धता आपको साफ़ नज़र आएगी। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफ़ी खर्च कर रही है। यही वजह है कि आज भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश के नए मौके हैं। भारत जिस तरह विकास पथ पर चल रहा है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। हाल  ही में उत्तर प्रदेश में 2023 में हुए समिट में करोड़ों के निवेश का लक्ष्य हासिल किया  गया है। यह सब भारत की बेहतरीन व्यापार नीति के लिए शुभ संकेत है। मिशन ग्रीन हाइड्रोजन दृढ़ संकल्प के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।

इस दौर में भी कई प्रमुख राजमार्ग भारत की छाती पर बल खाते हुए दिखाई देते हैं, इन मागों ने व्यापार मागों को आसान बना लिया है, आज भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक सामान ले जाया जा सकता है। व्यापार के लिए आप देश के किसी भी कोने में जाकर अपना माल बेच सकते हैं।हम देख रहे हैं कि रेल से नहीं तो ट्रक ट्रांसपोर्ट से जो सामान ले जाया जा सकता है, उसने इन दिनों माल की ढुलाई का एक अहम रिकॉर्ड बना लिया है, इससे साबित होता है कि अखंड हिंदुस्तान में व्यापार बढ़ गया है। भारतीय सामान विदेशों से भी ज़्यादा बिक रहे हैं, जिनका कारोबार छोटा है।

कई विदेशी कंपनियां भारत में स्थापित हो गई हैं, यहां माल बनाती हैं और देश और अन्य देशों को आपूर्ति करती हैं। इसका एक कारण यह भी है कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों को बहुत आसानी से उपलब्ध कराया जाता है और बहुत कम वेतन पर काम करने के लिए राजी हो जाते हैं। हमने सात-आठ सालों में भारत को बदलते देखा है। अब भारत विश्व पटल पर दिखाई दे रहा है। पहले यह व्यापार में नहीं गिना जाता था, लेकिन सरकार की नीति के कारण देश के व्यापारियों के साथ-साथ विदेशी व्यापारियों को भी लाभ हो रहा है। आज भारत का व्यावसायिक विकास हर स्तर पर देखा जा सकता है। आज भारत सही मायने में गति और पैमाने के पथ पर अग्रसर है।

(आलेख : रमन चौधरी)

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