ग़ाज़ियाबाद। शनिवार 28 जून को ग़ाज़ियाबाद के सभी सक्रिय पत्रकारों ने थाना बापूधाम में पुलिस की दबंगई और पत्रकारों के साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा है। इसके साथ ही, शिकायतकर्ता पत्रकार ललित चौधरी और उनकी पत्नी अपूर्वा चौधरी ने पुलिस आयुक्त, गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के DGP को भी शिकायती पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। शिकायतकर्ता ने चेतावनी दी है कि यदि सोमवार तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो मंगलवार से अनिश्चितकालीन धरना और आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।

हाल ही में थाना बापूधाम, गाजियाबाद में एक सड़क दुर्घटना से संबंधित शिकायत लेकर पत्रकार ललित चौधरी (प्रकाशक-संपादक, दैनिक समाचार पत्र भारत का बदलता शासन) और उनकी पत्नी अपूर्वा चौधरी (समाचार संपादक) सहित 10-12 पत्रकार थाने पहुंचे। आपातकालीन सेवा नंबर 112 पर संपर्क करने में असफल रहने के बाद, उन्होंने थाना प्रभारी से फोन पर बात की और थाने पहुंचे। लेकिन वहां उनकी शिकायत दर्ज करने के बजाय, पुलिस और कुछ दबंग व्यक्तियों ने उन पर समझौता करने का दबाव बनाया।

जब पत्रकारों ने समझौता करने से इनकार किया तो थाना प्रभारी के कार्यालय में उनके साथ गाली-गलौज, हाथापाई और शारीरिक प्रताड़ना की गई। उन्हें धक्के देकर कार्यालय से बाहर निकाल दिया गया। थाने से बाहर निकलते ही दबंगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी, जिसमें एक व्यक्ति ने कहा, "मैं दुजाना का गुर्जर हूँ, थाने से बाहर निकलते ही गोली मार दूंगा।" शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ भी गाली-गलौज और हाथापाई की गई, उनके गले का कॉलर पकड़ा गया और उन्हें अपमानित किया गया।

पुलिस और दबंगों के इस व्यवहार से आहत होकर शिकायतकर्ता ने थाने के बाहर 5-6 घंटे तक धरना दिया। इस दौरान थाना प्रभारी और दबंग लोग कार्यालय में हंसी-मजाक करते रहे और शिकायतकर्ता को धमकियां दी गईं कि वह धरना समाप्त करें, वर्ना "अच्छा नहीं होगा।" जब शिकायतकर्ता ने इस अन्याय के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली, तो थाना प्रभारी ने उन्हें पोस्ट डिलीट करने की धमकी दी और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट और धरने के दबाव में पुलिस ने मजबूरी में एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की, लेकिन यह कार्रवाई औपचारिकता मात्र थी, क्योंकि दबंगों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

गाजियाबाद के पत्रकारों ने अपने ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखी हैं:

तत्काल जांच: थाना बापूधाम की घटना की उच्च स्तरीय जांच और दोषी पुलिसकर्मियों व दबंगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।

पत्रकारों की सुरक्षा: पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।

पुलिस सुधार: गाजियाबाद पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार और पुलिस-दबंगों की मिलीभगत को रोकना।

निष्पक्ष कार्रवाई: शिकायतकर्ता की शिकायत पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: सोशल मीडिया पर सच उजागर करने वाले पत्रकारों को धमकाने की प्रथा को रोकना।

शिकायतकर्ता अपूर्वा चौधरी और ललित चौधरी ने पुलिस आयुक्त, गाजियाबाद और DGP उत्तर प्रदेश को लिखे शिकायती पत्र में साफ तौर पर कहा है कि यदि सोमवार 30 जून 2025 तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो वे मंगलवार 1 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन धरना और आमरण अनशन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, "जब तक हमें और हमारे परिवार को न्याय नहीं मिलेगा, हम यह धरना और आमरण अनशन जारी रखेंगे।"

पुलिस आयुक्त गाजियाबाद ने हाल ही में पुलिसकर्मियों को जनता के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने और शिकायतों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए थे। लेकिन थाना बापूधाम की घटना से स्पष्ट है कि इन आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। यह घटना न केवल पुलिस प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है, बल्कि पत्रकारिता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले को भी दर्शाती है।

गाजियाबाद में पुलिस और दबंगों की इस कथित मिलीभगत ने आम नागरिकों और पत्रकारों में कानून-व्यवस्था के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया है। पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कठोर कार्रवाई की मांग की है, ताकि गाजियाबाद में कानून का शासन पुनः स्थापित हो सके। 

इस मामले में अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री कार्यालय और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। ज्ञापन देने वालों में ललित चौधरी, अपूर्वा चौधरी, पंकज शर्मा, सागर, सुमन मिश्रा, रत्नेश कुमार, शमीमुद्दीन, सुनील, योगेश कुमार, दीपमाला, कपिल मेहरा, शान चेतन सहित दर्जनों पत्रकार उपस्थित रहे।



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