आज जिस तरह सभी महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं, उसी तरह मुस्लिम महिलाएं भी आगे बढ़ रही हैं। शिक्षा से लेकर व्यापार, साहित्य-संस्कृति और कला एवं फिल्म जगत तक हर जगह मुस्लिम महिलाएं अपनी स्थिरता और आत्मनिर्भरता के लिए प्रयासरत हैं। किसी भी देश के सामाजिक विकास और समृद्धि के लिए महिलाओं की आज़ादी जरूरी है । अर्थव्यवस्था और खाद्य उत्पादन में महिलाएँ सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाओं ने हर युग में राष्ट्र की स्थिरता, विकास और दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभाई है। महिलाओं की क्षमता और कौशल का बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं किया गया है । 

एक महिला जितनी अधिक शिक्षित होगी, उसे आर्थिक अवसर मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। समाज के विकास के लिए महिलाओं की स्वतंत्रता अपरिहार्य है, वहीं लैंगिक समानता की स्थापना के लिए महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता आवश्यक है । इस के लिए महत्वपूर्ण है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया और संसाधनों तक पहुंच में बाधा न आए ताकि पुरुषों और महिलाओं को उत्पादक जीवन में समान हिस्सेदारी मिल सके।

महिलाओं को उनके व्यक्तिगत विकास से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना स्वायत्तता कहलाता है। यह महिलाओं को जीवन के हर पहलू में स्वतंत्रता देता है, जिसमें मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक बाधाओं की परवाह किए बिना सही निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी शामिल है। महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था में समानता पैदा करना है ताकि पुरुष और महिलाएं सभी क्षेत्रों में समान हों । महिलाएं किसी भी देश को उज्ज्वल भविष्य बनाने और समाज और परिवार को फलने-फूलने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

आज के दौर में किसी भी देश के लिए महिलाओं के विकास का मतलब है कि उन्हें पुरुषों के बराबर दर्जा मिले। स्वायत्तता के कारण महिलाएं न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक विकास के लिए भी निर्णय लेने में सशक्त होती हैं। यह महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने, स्वतंत्र, सम्मानित और आत्मनिर्भर होने, सभी प्रकार की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वासी होने और सामाजिक-राजनीतिक विकास की विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। पुराने समय में महिलाओं को परिवार और समाज द्वारा दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता था । उन्हें शिक्षा नहीं दी जाती थी और वे घर के कामों तक ही सीमित रहती थीं। वे अपने अधिकारों से पूरी तरह अनभिज्ञ रहीं। देश की लगभग आधी आबादी महिलाएँ हैं, इसलिए इस आधी आबादी की आज़ादी देश के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है ।

महिलाओं को सशक्त बनाने के कई तरीके हो सकते हैं। इसे संभव बनाने के लिए व्यक्तियों और सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए । लड़कियों की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए ताकि महिलाएं पढ़-लिख सकें और अपना जीवन सुधार सकें। महिलाओं को लिंग की परवाह किए बिना जीवन के हर क्षेत्र में समान अवसर मिलने चाहिए। इसके अलावा उन्हें हर काम के लिए पुरुषों के समान वेतन दिया जाना चाहिए । एक और पहल जो महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है वह है कम उम्र में विवाह का उन्मूलन जो ग्रामीण क्षेत्रों में आम है। किसी भी वित्तीय संकट की स्थिति में महिलाओं को अपनी रक्षा करने में सक्षम बनाने के लिए कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तलाक और दुर्व्यवहार के संकट को खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। कई महिलाएं समाज के डर से अपने रिश्ते को बचाने के लिए हर तरह की क्रूरता सहती हैं। माता-पिता को अपनी बेटियों को प्रशिक्षण देते समय उन्हें यह बताना चाहिए कि घर में मरकर लाश बनकर आने से बेहतर है कि तलाक लेकर घर आ जाएं। महिलाओं की स्वायत्तता का वास्तविक एहसास तब होगा जब महिलाओं के प्रति समाज के नजरिए में बदलाव आएगा, उनके साथ सभी मामलों में नियमित सम्मान, प्रतिष्ठा और न्याय का व्यवहार किया जाएगा। समान रूप से काम किया जाएगा।

सरकारों द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाने के कारण आज महिलाओं में काफी बदलाव आया है। ये बदलाव मुस्लिम महिलाओं में भी आए हैं। सरकार महिलाओं की स्थिरता पर विशेष ध्यान दे रही है । विज्ञापनों से लेकर सेमिनार और संगोष्ठी तक हर स्तर पर अभियान चलाकर उन्हें स्वतंत्र बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।

आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर देशभर में मनाए जा रहे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत 'भारत में बदलाव ला रही महिलाएं' थीम पर ' महिला उत्सव' का आयोजन किया गया। इस संबंध में महिला संगठन फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्य भाषण दिया और कहा, “सरकार द्वारा हाल ही में की गई पहल के कारण सशस्त्र बलों में महिलाओं की संख्या में बड़ी वृद्धि होगी । आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर भागीदारी देखने को मिलेगी। आज सेना की सभी शाखाओं में महिलाएं न केवल काम कर रही हैं, बल्कि हम उन्हें स्थायी कमीशन भी दे रहे हैं । आज प्रत्येक राजकीय विद्यालय में बालकों के साथ-साथ बालिकाओं को भी प्रवेश दिया जा रहा है। महिलाओं के लिए भी एनडीए के दरवाजे खोल दिये गये हैं, पिछले साल इसकी प्रवेश परीक्षा में करीब दो लाख महिलाओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया था, निकट भविष्य में भारतीय सेना में महिलाओं का प्रतिशत काफी बढ़ने वाला है। यह 'न्यू इंडिया' का प्रतिनिधित्व करता है, जहां पुरुष और महिलाएं देश के समग्र विकास में समान भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं को वैदिक रीति से आदर और सम्मान दिया गया है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाएं समाज के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं, सरकार महिलाओं को भविष्य निर्माण में समान भागीदार मानती है और देश भर में उनके बहुमुखी विकास को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। 

राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कौशल विकास, रोजगार और औद्योगीकरण से जुड़ी कई योजनाएं शुरू की हैं, उन्होंने कहा कि इन योजनाओं ने महिलाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है और उनमें नई पहचान पाने का आत्मविश्वास पैदा किया है। महिलाएं अब शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, वाणिज्य, रक्षा और खेल सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने 23 साल की कुमारी वनिता सिंह का खास जिक्र किया, जिन्होंने 1 करोड़ रुपये पैकेज वाली नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू किया और अब उनकी कंपनी 300 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है, उन्होंने कहा कि देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा लाई गई नीति के कारण इस तरह की सफलता की कहानी संभव हो सकी है।

साल 2014 में देश में सिर्फ 500 स्टार्टअप चल रहे थे, लेकिन अब ये संख्या 60 हजार के पार पहुंच गई है, यदि महिलाओं के लिए बाधाएं दूर हो जाएं, तो कम से कम 1.5 करोड़ नए व्यवसाय शुरू किए जा सकते हैं, जिससे लगभग 6.4 करोड़ से अधिक लोगों के लिए रोजगार पैदा होंगे। महिला उद्यमिता के लिए इस प्रकार का वातावरण अधिक महिलाओं को प्रोत्साहित करेगा, जिसके कारण नए व्यापार मार्ग प्रशस्त होंगे। आने वाले दिनों में भारत को तीन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभाएंगी ।

स्वयंसेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषकर महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं की जागरूकता के लिए कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं । इसका अच्छा असर भी हो रहा है। अन्य महिलाओं के साथ मुस्लिम महिलाएं भी देश को आगे ले जाने में भागीदार बन रही हैं। महिलाओं के विकास, समृद्धि और स्वावलंबन के लिए सरकारी स्तर और सार्वजनिक स्तर पर कई उपाय किये गये हैं, लेकिन इस संबंध में और काम करने की जरूरत है। दरअसल, महिलाओं का वास्तविक विकास तभी संभव है, जब पुरुष समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी अभियान चलाया जाए। यदि महिलाएं दृढ़ संकल्प और साहस के साथ जीवन यात्रा पर आगे बढ़ें तो विकास और प्रदर्शन के मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं और समाज का सुधार भी संभव है ।

(आलेख : राणा समीर)

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