नई दिल्ली : बृजेश श्रीवास्तव। बृहस्पतिवार 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर सनातन सम्राट स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का भव्य गुरुपूजन समारोह नई दिल्ली स्थित हिंदू महासभा भवन में अत्यंत श्रद्धा व भक्ति के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर हिंदू महासभा, संत महासभा तथा श्री चित्रगुप्त अखाड़े के सैकड़ों प्रतिनिधियों एवं श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक हवन से हुई, तत्पश्चात स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का गुरुपूजन, पुष्पार्चन और माल्यार्पण किया गया। वक्ताओं ने उन्हें सनातन धर्म का जीवंत स्वर, हिंदू राष्ट्रवाद का ध्वजवाहक तथा समाज और राष्ट्र के सच्चे मार्गदर्शक के रूप में नमन किया।

स्वामी जी ने बच्चों को दिया आशीर्वाद, बताया “देश का भविष्य”: -

इस अवसर पर स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने विशेष रूप से उपस्थित अवनी पांडे और वसु श्रीवास्तव जैसे बालकों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए उन्हें भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रतिनिधि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि –

"बच्चों में ही भारत का भविष्य है। इन्हें यदि संस्कार, धर्म और राष्ट्रभाव से जोड़ा गया, तो भारत पुनः विश्वगुरु अवश्य बनेगा।"

इस अवसर पर ब्रह्म ऋषि बीके शर्मा हनुमान, डॉक्टर इंदिरा तिवारी और डॉक्टर हर प्रीत सिंह‌ कोचर, डॉ रचना गर्ग, महंत विजय पांडे ,रेखा पांडे आदि समेत हजारों भक्तों ने स्वामी जी के चरणों में अपनी श्रद्धा व्यक्त करने हेतु उपस्थित रहे।

मुख्य उपस्थिति व योगदान: -

इस भव्य आयोजन में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे:

– दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय पांडे,

– महिला अध्यक्ष रेखा पांडे,

– तमिलनाडु संत महासभा अध्यक्ष श्री राम स्वामी,

– श्री चित्रगुप्त अखाड़े संगठन दिल्ली अध्यक्ष श्री कुलदीप श्रीवास्तव,

– हरियाणा अध्यक्ष नरेंद्र सैनी,

– संगठन संयोजक जगविजय,

– दिल्ली से विवेक जोशी एवं भुवनेश्वर शर्मा,

– कर्नाटक से मनोज,

– उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अनुपम मिश्रा एवं संगठन मंत्री श्री राजकुमार सिंह,

– काशी से श्रीकांत पांडे,

– वृंदावन से संजय हरियाणा, राजकुमार बबलू ,सुमन ओझा

– हरिश शर्मा, देवेंद्र कुमार, पिंकी शर्मा आदि अनेक श्रद्धालुगण।

विशिष्ट रूप से जगद्गुरु दुर्गाचार्य कंचन गिरी जी की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को दिव्यता प्रदान की।

स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा –

"सनातन धर्म मानवता का धर्म है। 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' की भावना ही विश्व शांति का मूल मंत्र है। भारत को  विश्वगुरु के स्थान पर प्रतिष्ठित करना ही हमारा संकल्प है।"

कार्यक्रम के अंत में सभी के लिए स्वादिष्ट भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें सभी उपस्थितजनों ने प्रसाद ग्रहण किया। अंत में स्वामी चक्रपाणि जी महाराज के गगनभेदी नारे से माहौल गूंज उठा।





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