नई दिल्ली : पुनीत माथुर। जैसा कि आप सभी जानते हैं की आरबीआई की घोषणा के बाद दो हज़ार के नोट को बंद किया गया है। सोशल मीडिया पर इसे ले कर तरह तरह के कार्टून और हास्य कविताओं की बाढ़ सी आ गई है। 

आज न्यूज़ लाइव टुडे पर हम भी इसी विषय पर लोकप्रिय कवि डॉ. जय प्रकाश प्रजापति ’अंकुश कानपुरी' की एक हास्य कविता आपके लिए लेकर आए हैं। शीर्षक है,"बेचारा दो हजार का नोट"...


दो हजार के नोट! 

तुम्हारा यह भाग्य,

जिसने भी लिखा, 

अच्छा नही लिखा,


बड़े जोश के साथ,

तुम्हें उतारा गया था! 

तुम्हारे अंदर चिप है,

यही बताया गया था!! 


लोग बड़े शान से कहते, 

भृष्टाचार में रोक लगेगी,

एक हजार को रोक लो, 

बस तेरी ही शान बढ़ेगी!! 


आज दो हजार का नोट, 

कितना बेचारा हो गया है, 

लोगों के घरों में पड़ा,

बिल्कुल बेसहारा हो गया है!! 


इसे नही पता था कि-

उसका इतनी जल्दी, 

यह हाल होगा

मेरे कारण जनता में 

इतना बवाल होगा !!

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