देहरादून : बृजेश श्रीवास्तव। मंगलवार 21 मार्च। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने पीपल के वृक्ष को अपनी दिव्य विभूतियों में गिना कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। इसलिए हमें धार्मिक पवित्रता के समान ही इस संदेश का सम्मान करना चाहिए।

उपरोक्त विचार सहायक निदेशक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने आज विश्व संस्कृत दिवस एवं विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर हिम ज्योति फाउंडेशन पब्लिक स्कूल में  आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि वृक्षों का हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू से गहरा संबंध है। भगवान श्री राम 14 वर्ष वनवास में रहकर ही राम राज्य की स्थापना कर पाए तो महात्मा बुध का जन्म भी लुंबिनी के बगीचे में हुआ और पीपल वृक्ष के नीचे ही उनको बुद्धत्व प्राप्त हुआ।

सहायक निदेशक ने उपस्थित शिक्षाविदों, पर्यावरणविद एवं बुद्धिजीवियों के विशाल जन समूह को विश्वास दिलाया कि शिक्षा और विशेष रूप से संस्कृत शिक्षा विभाग की तरफ से शिक्षा सत्र 2023 में वृक्षारोपण का विशेष अभियान स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर चलाया जाएगा। 

उन्होंने इस अवसर पर अन्य अतिथियों के साथ 5 औषधीय पौधों का रोपण भी विद्यालय परिसर में किया।

कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि दिल्ली पेड़ पंचायत के अध्यक्ष पेड़ बाबा के नाम से मशहूर डॉक्टर एसएन मिश्रा ने कहा कि गिलोय को पीने वाले को कभी कोई रोग नहीं हो सकता। कोरोना काल में भी जिन्होंने इसका सेवन किया उनकी अस्पताल जाने की नौबत नहीं आई। इसी प्रकार इंसुलिन का भी पौधा है जिसको वह साथ लेकर भी आए थे। उन्होंने कहा कि पीपल के वृक्ष जहां अधिक होते हैं वहां कोराना कभी नहीं हो सकता। क्योंकि शुद्ध ऑक्सीजन मिलता है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उधम सिंह नगर कौशल्या जन कल्याण समिति के अध्यक्ष सरदार हरप्रीत सिंह ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए आज समाज के सभी वर्गों और विशेष रूप से शिक्षा विभाग को अपनी तरफ से विशेष पहल करनी चाहिए। क्योंकि बच्चों के माध्यम से सबसे अच्छा संदेश प्रचारित और प्रसारित होता है।

कार्यक्रम संयोजक अभ्युदय वात्सल्य संस्था की निदेशक डॉक्टर गार्गी मिश्रा ने कहा कि आज विश्व संस्कृत दिवस एवं वानिकी दिवस पर इस प्रकार का भव्य आयोजन पूरे प्रदेश को बहुत बड़ा संदेश देगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल का पहली बार विद्यालय में पहुंचने पर प्रधानाचार्य श्रीमती रीमा मल्होत्रा ने विद्यालय में उगे हुए रुद्राक्ष पेड़ों से निकालकर 11 फल भेंट कर एवं पुष्प माला से स्वागत करते हुए कहा कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने सेतबंध रामेश्वर की स्थापना करके भौतिकवाद के प्रतीक रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसी प्रकार विद्यालय द्वारा भेंट किए गए एकादश रूद्र रूपी रुद्राक्ष के आशीर्वाद से डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल सर्वत्र संस्कृत शिक्षा का परचम लहराने में कामयाब होंगे। उन्होंने कार्यक्रम में पहुंचे सभी अतिथियों का धन्यवाद व्यक्त किया।

कार्यक्रम में सासा संस्था के प्रधान डेविड, संत निरंकारी मिशन के संयोजक नरेश विरमानी, मनप्रीत सिंह, दयाल सिंह नेगी सहित विद्यालय के शिक्षक कर्मचारी छात्र-छात्राएं एवं पर्यावरणविद् और शिक्षाविद बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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