जय राधा माधव 🌹🙏


मित्रों आज का श्लोक मैंने लिया है श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे  अध्याय 'ज्ञानकर्मसंन्यासयोग' से।


यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

(अध्याय 4, श्लोक 7)


इस श्लोक का अर्थ है :  हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने (साकार) रूप को रचता हूँ।


सुप्रभात ! 


© पुनीत कुमार माथुर, ग़ाज़ियाबाद

    mpuneet464@gmail.com



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