नई दिल्ली : पुनीत माथुर । वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने एयरो इंडिया प्रदर्शनी के बीच फिर भारत-चीन सीमा की स्थिति के बारे में कहा है कि बातचीत चल रही है। सभी इस बात पर निर्भर करते हैं कि वार्ता कैसे चलती है। उस पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है और अगर डी-एस्केलेशन और विघटन शुरू होता है तो यह अच्छा होगा। इसके बावजूद अगर कुछ नई स्थिति बन रही है तो हम उसके लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं। चीन ने जैसे ही भारतीय क्षेत्र के करीब जे-20 फाइटर जेट्स को तैनात किया था, वैसे ही भारत ने भी फ्रांस से आए राफेल जेट विमानों की तैनाती कर दी थी।
राफेल से डरे चीनी लड़ाकू विमान
उन्होंने कहा कि चीन के साथ तनाव अभी भी बरकरार है। पूर्वी लद्दाख के करीबी क्षेत्रों में चीन ने अपने जे-20 लड़ाकू विमान तैनात किये थे लेकिन जब हम इस क्षेत्र में राफेल लेकर आए तो वह पीछे चले गए। यह पूछे जाने पर कि क्या राफेल विमान की सीमा पर तैनाती ने चीनी शिविर में चिंता पैदा की है तो उन्होंने कहा कि बेशक, भारत की ओर से एलएसी पर राफेल की तैनाती के बाद से चीनी कैंप में खलबली है। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि चीन की तरफ से हवाई तैनाती में बदलाव से कुछ कमियां आई हैं। उन्होंने अपनी वायु रक्षा क्षमता को मजबूत किया है जिसके विपरीत भारत ने अपनी तैनाती कम नहीं की है बल्कि तैनाती को और मजबूत किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिपक्व और संतुलित सहयोग की जरूरत
इससे पहले वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने बुधवार को एयरो इंडिया में विभिन्न देशों के वायुसेना प्रमुखों के दो दिवसीय कॉन्क्लेव में अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि कोविड-19 महामारी के बीच बढ़ते अविश्वास और भू-राजनीतिक तनाव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिपक्व और संतुलित सहयोग की जरूरत को मज़बूत किया है। इस पृष्ठभूमि में सहयोग, साझेदारी एवं सह-अस्तित्व के सिद्धांतों के आधार पर आपसी समझ और मौजूदा सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय वायुसेना ने शांति और स्थिरता बनाए रखने में साझा मूल्यों और रुचि को साझा करने वाले बड़ी संख्या में राष्ट्रों के साथ कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों के माध्यम से मैत्री बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलन वर्तमान चुनौतियों और उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने और वायु सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं।
घटनाक्रमों को बारीकी से देख रही थी भारतीय वायुसेना
वायु सेनाध्यक्ष ने युद्ध की बदलती प्रकृति का उल्लेख करते हुए कहा कि नई तकनीक के आगमन और भौतिक, डिजिटल एवं संज्ञानात्मक डोमेन की क्रॉस लिंकिंग ने लड़ने की कला को जटिल बना दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सीमाओं की समझ परम्परागत शास्त्रीय परिभाषाओं से परे खिसक गई है। उन्होंने कहा कि कम क़ीमत में तकनीक की आसान उपलब्धता ने राज्य अथवा गैर-राज्य अभिकर्ताओं को अधिक घातक और असीमित प्रभाव पैदा करने में सक्षम बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना इन घटनाक्रमों को बारीकी से देख रही थी और मानवरहित एवं वैकल्पिक रूप से मानवरहित प्लेटफार्मों, मानवरहित टीमिंग और ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी में क्षमताओं पर काम कर रही थी। उन्होंने आधुनिक युद्ध के लिए अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिकियों की बढ़ती महत्ता और डिजिटल आधार पर चल रहे बड़े खेल में सॉफ्टवेयर क्षमताओं के महत्व पर प्रकाश डाला।
भारतीय वायुसेना मित्र देशों की सहायता के लिए अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत
एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा कि भारत की स्वदेशी क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने कई सुधार और नीतिगत बदलाव किए हैं जो इस प्रदर्शनी के भागीदारों को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत अगली पीढ़ी की तकनीकों और प्लेटफार्मों को बनाने में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की वायुसेना प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर मित्र देशों की सहायता के लिए अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत हैं।राहत मिशनों में भारतीय वायुसेना अपनी शक्तिशाली सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता के साथ सबसे आगे रही है। आज हमारे पास पूरे हवाई अंतरिक्ष में वायु निगरानी क्षमता है जिसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
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