🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


मित्रों आज के ये दो श्लोक भी  श्रीमद्भगवद्गीता के चौदहवें अध्याय 'गुणत्रयविभागयोग' से ही हैं ... 


सत्त्वं सुखे संजयति रजः कर्मणि भारत ।

ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे संजयत्युत ॥

(अध्याय 14, श्लोक 9)


रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत ।

रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा ॥

(अध्याय 14, श्लोक 10)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं)- हे अर्जुन! सत्त्वगुण सुख में लगाता है और रजोगुण कर्म में तथा तमोगुण तो ज्ञान को ढँककर प्रमाद में भी लगाता है।

हे अर्जुन ! रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण, सत्त्वगुण और तमोगुण को दबाकर रजोगुण, वैसे ही सत्त्वगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण होता है अर्थात बढ़ता है।


आपका दिन मंगलमय हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

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