🙏🌹जय श्री कृष्ण🌹🙏

आप सभी को प्रणाम मित्रों !

आज का यह श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....

इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत ।
सर्वभूतानि संमोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥
(अध्याय 7, श्लोक 27)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - हे भरतवंशी अर्जुन! संसार में इच्छा और द्वेष से उत्पन्न सुख-दुःखादि द्वंद्वरूप मोह से सम्पूर्ण प्राणी अत्यन्त अज्ञानता को प्राप्त हो रहे हैं ।

आपका दिन मंगलमय हो !

पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
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