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नई दिल्ली : पुनीत माथुर। देश भर मेँ विभिन्न पाठ्यक्रमों मेँ प्रवेश के लिए हर साल परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इन परीक्षाओं मेँ बैठने के लिए अभ्यर्थियों से शुल्क लिया जाता है। हाँ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को इस शुल्क मेँ छूट मिलती है।

अब जो हम बताने जा रहे हैं उसे जानकर आपको  हैरानी होगी कि चिकित्सा शिक्षा एवं दंत चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालयों में एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा 'नीट-2019' (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के आवेदन शुल्क से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को 192 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि अर्जित हुई है।

5 मई, 2019 को आयोजित  इस परीक्षा में भाग लेने के लिए सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए पंजीयन शुल्क 1400 रुपये एवं एससी-एसटी इत्यादि के लिए 750 रुपये निर्धारित किया गया था। इनमें से कुल 15,19,375 अभ्यर्थियों ने पंजीयन कराया था, जिनमें से 14,10,755 अभ्यर्थियों ने परीक्षा में भाग लिया था। इस परीक्षा का परिणाम 5 जून को घोषित हुआ था।

मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के अधीन आने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से नीट परीक्षा शुल्क को लेकर जो जानकारी हासिल की है, उसके मुताबिक, नीट-2019 परीक्षा में भाग लेने वाले पंजीयनकर्ताओं से 192 करोड़ 43 लाख 22 हजार 162 रुपये प्राप्त हुए हैं।

गौड़ ने आरटीआई के तहत जब पूछा कि नीट-2019 परीक्षा के आयोजन पर आई लागत एवं शेष बची राशि का कब, कहां एवं कैसे उपयोग किया गया है तो इसके जवाब में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया कि परीक्षाओं के लिए एकत्रित की गई फीस का परीक्षा से जुड़े हुए कार्यो एवं उद्देश्य में उपयोग किया जाता है। एनटीए लाभकारी संस्था नहीं है।

एनटीए के इस जवाब पर आरटीआई कार्यकर्ता गौड़ का कहना है कि नीट-2019 परीक्षा का आयोजन अभ्यर्थियों से मिली भारी भरकम फीस लेकर किया गया है, इसलिए जनहित में बेहतर होगा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इस परीक्षा पर आई लागत का खुलासा करे।
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