ग़ाज़ियाबाद : दिनेश जमदग्नि। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बंदरों की बढ़ती आबादी और आदमी-बंदर संघर्ष के मुद्दे पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और नगरपालिकाओं को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने इन अधिकारियों से 10 जुलाई तक इस समस्या से निपटने के लिए उनकी कार्रवाई योजना के बारे में जानकारी देने को कहा है।
यह याचिका विनीत शर्मा (भाजपा नेता और समाजसेवक) और प्राजक्ता सिंघल (बी.टेक छात्रा) ने दायर की है, जो ग़ाज़ियाबाद के निवासी हैं। याचिका में दावा किया गया है कि बंदरों की बढ़ती आबादी ने लोगों और बंदरों दोनों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर दी है।
याचिका में कई जिलों में बंदरों के हमलों और उनकी भूख और कुपोषण की समस्या का उल्लेख किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने बंदरों के लिए उचित आश्रय, पशु चिकित्सा केंद्र, भोजन और एक 24x7 शिकायत हेल्पलाइन पोर्टल स्थापित करने की मांग की है।
वकील आकाश वशिष्ठ ने न्यायालय को बताया कि बंदरों की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि हर वर्ग के लोग, विशेष रूप से बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत पशु कल्याण बोर्ड को इस मुद्दे से निपटने के लिए एक कार्रवाई योजना तैयार करनी चाहिए।
नगरपालिका अधिनियम के तहत भी नगरपालिकाओं की जिम्मेदारी है कि वे उपद्रव को कम करें, खतरनाक जानवरों को नियंत्रित करें और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
आकाश वशिष्ठ ने तर्क दिया कि यह याचिका अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों और जानवरों के अधिकारों और स्वतंत्रता के बीच सामंजस्य स्थापित करने की मांग कर रही है, विशेष रूप से भोजन का अधिकार।
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