रूठना और मनाना नए साल में, 

प्यार ऐसे जताना नए साल में ।


कितना तरसा हूँ मैं इक अदा से तेरी, 

अब तो चेहरा दिखाना नए साल में।


तोड़ कर बेड़ियाँ सब चले आओ तुम, 

छोड़ कर फ़िर न जाना नये साल में।


दिल दुखे ऐसी बातों को क्या सोचना, 

जो हुआ भूल जाना नए साल में।


तल्खियां भूल कर हो शुरुआत फ़िर, 

दिल को दिल से मिलाना नए साल में।


हर तरफ़ बस तुम्हारे ही चर्चे चलें, 

ऐसा कुछ कर दिखाना नए साल में।


कितनी ग़ज़लें कही हैं तुम्हारे लिए, 

तुम उन्हें गुनगुना नए साल में ।


- पुनीत माथुर, ग़ाज़ियाबाद । 

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