🙏राधे राधे 🙏

आप सभी को प्रणाम मित्रों!

आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....

बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम् ।
धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ ॥
(अध्याय 7, श्लोक 11)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - हे भरतश्रेष्ठ ! मैं बलवानों का आसक्ति और कामनाओं से रहित बल अर्थात सामर्थ्य हूँ और सब भूतों में धर्म के अनुकूल अर्थात शास्त्र के अनुकूल काम हूँ।

आपका दिन शुभ हो !

पुनीत माथुर  
ग़ाज़ियाबाद
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