ग़ाज़ियाबाद : बृजेश श्रीवास्तव। सोमवार को डॉ एसपी पाण्डेय मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ग़ाज़ियाबाद ने कहा कि शीत ऋतु का प्रारंभ हो गया है। न्यूनतम तापमान की संभावना बनी हुई है। इस स्थिति में उचित प्रबंधन से पशुओं को शीत ऋतु के प्रकोप से बचना बहुत जरूरी है। शीत लहर के कुप्रभाव से पशुओं का दुग्ध उत्पादन भी कम हो जाता है। बच्चों की वृद्धि रुक जाती है तथा कभी-कभी उचित देखरेख वह प्रबंध न होने से पशु की मृत्यु भी हो जाती है।
पशुपालकों को निम्न बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे वह आर्थिक क्षति से बच सकें: -
● पशु पक्षियों को आसमान के नीचे खुले स्थान में ना रखें, ना बांधे।
● पशुओं को घिरी जगह, छप्पर, शेड के ढके हुए स्थान पर ही रखें।
● विशेष ध्यान रखें की रोशनदान, दरवाजे, खिड़कियों को आवश्यकतानुसार टाट, बोरे से ढक दे जिससे सीधी हवा का झोंका पशुओं तक न पहुंचे ।
● पशु बाड़े में गोबर, मूत्र निकासी की उचित व्यवस्था करें। मूत्र जल भराव ना होने दें।
● बिछावन के लिए पुआल, लकड़ी का बुरादा, गन्ने की खोई आदि का प्रयोग करें ।
● पशु पक्षियों को बाड़े की नमी, सीलन से बचाए।
● पशुओं को रोज ताजा पानी ही पिलाये।
● पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनाये। ध्यान रखें कि झूल खिसके नही। अतः झूल नीचे से जरूर बांध कर रखें।
● आवश्यकता अनुसार पशु बाड़े में अलाव जलाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं के बच्चों की पहुँच से दूर रहे। पशु के बच्चो के गले में रस्सी बांध कर रखे।
● अलाव जलाने पर गैस बाहर निकालने के लिए रोशनदान खोल दें।
● संतुलित पशु आहार दें। पशु आहार में खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढाए।
● दिन में धूप निकलने पर पशु को अवश्य ही बाहर खुले स्थान पर धूप में खड़ा करें। नवजात पशुओं को खीस, कोलेस्ट्रम पिलाएं। इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।
● प्रशव, ब्याने के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी अजवाइन मिलाकर पिलाएं।
● भेड़ बकरियों में भी बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है। अतः बीमारी से बचाव का टीका अवश्य लगवाये।
● चूजा / मुर्गी के घरों में उचित तापमान हेतु मानक के अनुसार व्यवस्था कर शीत लहर से बचाव के प्रयास करें।
● गर्भित पशु का विषय ध्यान रखें तथा प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा को ध्यान में रखकर शीत लहर से बचाव करें।
● ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी और बुखार के लक्षण प्रकट होते हैं। अतः तत्काल निकटतम पशु चिकित्सक को दिखाएं। उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्ण रूपेण पालन करें।
● आपदा से पशु की मृत्यु होने पर राहत राशि प्राप्त करने के लिए राजस्व विभाग से संपर्क स्थापित करें।
● पशु से संबंधित किसी प्रकार की समस्या सुविधा जानकारी के टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करें।
● पशुपालन विभाग की निःशुल्क सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए अपने पालतू पशुओं के कान में टैग लगवाकर सुरक्षित रखे।



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