गीता के दसवें अध्याय के 26वें श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं कि

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां 

(वृक्षों में मैं अश्वत्थ (पीपल) हूं)

इसका मतलब है कि सभी पेड़ों में, पीपल का पेड़ सबसे महान है। पीपल का पेड़, जिसे बोटैनिकल नाम Ficus religiosa से भी जाना जाता है, भारत में एक पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष माना जाता है। इसके विभिन्न भागों जैसे जड़, छाल, पत्ते और फल का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में किया जाता है। 

पीपल के पेड़ के औषधीय गुण:

ऑक्सीजन का प्रचुर स्रोत:

पीपल का पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों में से एक है, जो वायु को शुद्ध करने में मदद करता है।

त्वचा रोगों में लाभकारी:

पीपल की पत्तियों का अर्क त्वचा के घावों, खुजली और सूजन को कम करने में मदद करता है।

पाचन में सहायक:

पीपल के पत्तों का रस पाचन तंत्र को साफ करने और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है। 

सांस संबंधी समस्याओं में उपयोगी:

पीपल के पत्ते, छाल और फल सांस संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और खांसी के इलाज में उपयोगी होते हैं।

मधुमेह नियंत्रण:

पीपल के पत्तों का उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

मानसिक शांति और तनाव मुक्ति:

पीपल के पेड़ की छाया में बैठने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।

अन्य उपयोग:

पीपल का उपयोग घाव भरने, मासिक धर्म की समस्याओं, मूत्र संबंधी समस्याओं और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है।

धार्मिक महत्व:

पीपल को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसे भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव का निवास स्थान माना जाता है।

(आलेख : पुनीत माथुर ’परवाज़’)

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