भगवान बलराम जी द्वापर युग में अवतरित ब्रज के राजा और भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई के रूप में पूजनीय हैं। इन्हें स्नेहपूर्वक दाऊ भैया भी कहा जाता है।
देवी सुभद्रा भी श्रीकृष्ण की बहन और अर्जुन की पत्नी के रूप में पूजी जाती हैं।
इन तीनों भाई बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में तीनों के विग्रह पुरी के जगन्नाथ मंदिर में विराजमान हैं। जहां हर वर्ष आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से तीनों की रथ यात्रा निकाली जाती है।
आइए विभिन्न पौराणिक स्रोतों के आधार पर जानें कि क्या भगवान बलराम और देवी सुभद्रा श्री कृष्ण के सगे भाई बहन हैं।
ये तो हम सभी जानते हैं कि श्री कृष्ण के पिता वासुदेव और माता देवकी को एक आकाशवाणी के चलते कि देवकी की आठवीं संतान कंस की मृत्यु बनेगी, देवकी के भाई कंस ने मथुरा नगरी के कारागार में बंदी बना लिया था।।
बता दें कि वासुदेव की दो पत्नियां देवकी और रोहणी थीं। जब देवकी की सातवीं संतान होने वाली थी तब भगवान ने देवकी के गर्भ को रोहणी में स्थानांतरित कर दिया। जो बलराम के रूप में माता रोहिणी के गर्भ से जन्मे।
फिर आठवीं संतान के रूप में श्री कृष्ण जन्मे जिन्हें वासुदेव चोरी छुपे अपने मित्र नन्द बाबा और उनकी पत्नी यशोदा के घर वृंदावन छोड़ आए और योगमाया को कृष्ण के स्थान पर देवकी की गोद में सौंप दिया। जब कंस ने योगमाया को मारने के लिए पटकना चाहा तो वो कंस के हाथ से छूट कर आकाश में चली गईं और आकाशवाणी हुई कि तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है।
इसी तरह देवी सुभद्रा ने भी वासुदेव जी की दूसरी पत्नी रोहणी की कोख से जन्म लिया।
अतः भगवान बलराम और देवी सुभद्रा श्री कृष्ण के सगे भाई बहन न हो कर विमाता रोहणी की संतान हैं लेकिन तीनों के आपसी प्रेम के चलते तीनों को साथ ही पूजा जाता है।
आलेख : पुनीत माथुर ’परवाज़’


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