तप्त-कांचन गौरांगी राधे वृंदावनेश्वरी !
वृषभानु सुते देवी प्रणमामि हरि-प्रिये !!
ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी, कृष्णप्रिया श्री राधा जी का जन्म एक गोप राजा वृषभानु और उनकी पत्नी कीर्ति के घर हुआ था। कुछ कथाओं के अनुसार, राधा का जन्म देवी कीर्ति के गर्भ से नहीं हुआ था, बल्कि वह योगमाया की शक्ति से प्रकट हुई थीं ।
राधा जी के पूर्व जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि वह पिछले जन्म में देवी लक्ष्मी थीं। कुछ कथाओं में यह भी कहा गया है कि वह वेदवती थीं, जिन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। इसके अतिरिक्त, कुछ ग्रंथों में राधा को विष्णु की शाश्वत पत्नी या गोलोक में कृष्ण की शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।
विभिन्न कथाओं में राधा के पूर्व जन्म:
देवी लक्ष्मी:
कुछ पुराणों में राधा को देवी लक्ष्मी का अवतार माना गया है, जो भगवान विष्णु के कृष्ण रूप में पृथ्वी पर आने से पहले, उनके साथ पृथ्वी पर आने में झिझक रही थीं।
वेदवती:
एक अन्य कथा के अनुसार, राधा अपने पिछले जन्म में वेदवती थीं, जिन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
कुछ अन्य ग्रंथों में राधा को देवी लक्ष्मी का अंश या कृष्ण की शाश्वत शक्ति के रूप में भी वर्णित किया गया है।
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राधा के पूर्व जन्म और जन्म के बारे में कई अलग-अलग व्याख्याएं हैं, और यह विषय हिंदू धर्म में एक गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक बहस का विषय है। न्यूज़ लाइव टुडे ने विभिन्न स्रोत्रों से उपलब्ध जानकारियां उपलब्ध कराई हैं।


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