नई दिल्ली : पुनीत माथुर। दुनिया भर में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपा रखा है। इस बीच, कोरोना के कई स्वरुप भी पाए गए है। जो काफी खतरनाक है। ऐसे में कोरोना के डेल्टा स्वरुप पर रूस की वैक्सीन स्पूतनिक वी 90 प्रतिशत कारगर माना गया है। इस की पुष्टि रूस की नोवोसिबिर्स्क स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला के प्रमुख और रूसी विज्ञान अकादमी (आरएएस) के संबंधित सदस्य सर्गेई नेत्सोव ने की है।

सर्गेई नेत्सोव ने कहा कि यूके, यूएस और अन्य देशों के आंकड़ों के अनुसार, हमारे स्पुतनिक-वी समेत एमआरएनए और वेक्टर टीके, डेल्टा पर कारगर हैं। ये टीके कोरोना के खिलाफ 95 प्रतिशत और डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ 90 प्रतिशत सुरक्षा देते हैं। उन्होंने कहा कि पहले से विकसित टीकों का उपयोग किया जाना चाहिए क्योंकि वे काफी प्रभावी हैं।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर बताया कि, मॉस्को के गामालेया इंस्टीट्यूट के उप निदेशक डेनिस लोगुनोव, जिन्होंने स्पूतनिक वी विकसित किया, ने बताया कि डेल्टा वैरिएंट की प्रभावकारिता आंकड़े की गणना डिजिटल मेडिकल और वैक्सीन रिकॉर्ड के आधार पर की गई थी। गामालेया इंस्टीट्यूट के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग के अनुसार, दुनियाभर के देशों ने डेल्टा वैरिएंट को लेकर खतरे का आगाह किया है। करीब 14.4 करोड़ की आबादी वाले रूस ने चार स्वदेशी निर्मित वैक्सीन को मंजूरी दी है और महामारी की शुरुआत के बाद से करीब 55 लाख मामले दर्ज किए गए हैं।

बता दें कि डेल्टा वैरिएंट ही वह वजह है जिसके चलते भारत में कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर आई थी। कोविड-19 का ये वेरिएंट पहली बार भारत में ही मिला था। इसी से भारत में कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण काफी तेज़ी से फैलता है। साथ ही ऐसे में मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखते हैं। 

इस वक्त ब्रिटेन और इज़राइल में इसी वेरिएंट के चलते कोरोना के नए केस में तेज़ी से इज़ाफा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक इज़राइल में कोरोना के 90 फीसदी केस इसी वेरिएंट के हैं। ये स्थिति तब है जब वहां 50 फीसदी लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है।

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