नई दिल्ली : पुनीत माथुर। सुप्रीम कोर्ट लव जेहाद और अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए बने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के क़ानूनों की समीक्षा के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने क़ानून पर रोक लगाने की मांग की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून को चुनौती देने वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबित हैं। कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह याचिका अच्छी नहीं है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि इस कानून का असर पूरे समाज पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रोज़ खबर आ रही है कि लोगों को शादी से ज़बर्दस्ती उठाया जा रहा है।

जिन वकीलों ने याचिका दायर की है वे हैं विशाल ठाकरे, अभय सिंह यादव और प्राणवेश। याचिका में कहा गया है कि लव जेहाद के नाम पर यूपी और उत्तराखंड में बने ये कानून संविधान की मूल भावना का उल्लंघन हैं। याचिका में कहा गया है कि देश का संविधान देश के हर नागरिक को मौलिक अधिकार देता है। याचिका में कहा गया है कि यूपी और उत्तराखंड में बने ये कानून स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। इस कानून से उन लोगों में भय पैदा होगा जो लव जेहाद में शामिल नहीं हैं लेकिन उन्हें इसमें फंसा दिया जाएगा।

याचिका में कहा गया है कि ये कानून असामाजिक तत्वों का औजार बन जाएगा, जिसके जरिए वे लोगों को झूठे तरीके से फंसाएंगे। अगर यह कानून लागू होता है तो यह अन्याय होगा और इससे समाज में अराजकता फैलने की आशंका है। याचिका में दोनों राज्यों में लागू किए गए कानून को निरस्त करने की मांग की गई है।

Share To:

Post A Comment: