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 एक ग़ज़ल...... 


भले हो तुम खिताब रख लेना, 

धौंस,रुतबा, रुआब रख लेना। 


जिनकी ख़ुशबू से जिंदगी महकी, 

नाम उनका गुलाब रख लेना ।


जब भी चेहरा हो सामने उनका, 

बंद करके किताब रख लेना।


नींद आने का कुछ बहाना हो, 

उनका आँखों में ख़्वाब रख लेना।


इनका एहसास भी जरुरी है, 

दर्द तुम बेहिसाब रख लेना।


फ़ासले क्यूँ हमारे बीच हुए, 

कोई वाजिब जवाब रख लेना।


© पुनीत कुमार माथुर, ग़ाज़ियाबाद 

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