नई दिल्ली : पुनीत माथुर। न्यूज़ लाइव टुडे के 'साहित्य सरोवर' में आज प्रस्तुत है कवियत्री सुमन राठौड़ (झुंंझनू , राज.) की नवीन रचना 'मेरे ख्यालों में रहने लगे'।

रोज़गार की तलाश में गांव छोड़ कर शहर में आकर बस गए नौजवान की अपने गांव की स्मृतियों का सुंदर चित्रांकन करती यह रचना आशा है आपको अवश्य पसंद आएगी।

मेरे ख्यालों में रहने लगे

शहर में आकर मैं बस गया हूँ
पर रूह में मेरी गाँव समाया है,
वो यादें मेरे ख्यालों में रहती है।
वो गाँव की चौपाल,
वो गाँव की मीठी बोली,
वो बुजुर्गो का सानिध्य,
माँ के हाथों बनी चुल्हे की रोटी
अक्सर मेरे ख्यालों में रहने लगे हैं।
वो सतोलिया का खेल,
वो छुपमछुपाई का खेल,
वो गाँव का अपनापन,
वो गाँव की गलियां,
अक्सर मेरे ख्यालो में रहने लगे हैं।
वो गाँव के जोहड़,
वो मटके से पानी भरती रमणियां,
अक्सर मेरे ख्यालों में रहती है।
वो हल जोतते किसान,
वो खेतों की हरियाली,
वो लहलहाती फसलें,
वो झाड़ियों के मीठे बेर,
अक्सर मेरे ख्यालों में रहती है।
निकल पड़ा हूँ नौकरी करने ,
गाँव से शहर की ओर,
पर मेरे गाँव की मिट्टी की महक ,
अक्सर मेरे ख्यालों में रहने लगी है।
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