इंदौर : बृजेश श्रीवास्तव। शनिवार 7 अक्टूबर को धर्म रक्षा दल द्वारा इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। वैदिक संस्कृति हिन्दू परंपरा में गौ, गीता, गंगा, गायत्री का एक विशेष महत्व है। जब तक इन चारों का महत्व हमारे जीवन में रहा है, तब तक हमारा राष्ट्र और हमारा विश्व शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करता रहा है।

जब तक भारत सरकार गोहत्या पूर्ण रूप से बंद नहीं करती है तब तक भारत सरकार के सभी प्रयास निरर्थक है। एक ओर सूर्योदय के पूर्व हजारों गौमाता की कत्लखानों में हत्या और उनके मांस का व्यापार करके भारत सरकार राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि चाहती है। यह घृणित कार्य शीघ्र बंद किया जाए।

भारत की जनता गो पालक, गौ रक्षक कई वर्षों से पूर्ण गो हत्या बंदी गो संवर्धन गो रक्षण के लिए प्रयासरत है। सन् 1857 की क्रांति में हिन्दू मुरिलम शासकों ने अयोध्या राम मंदिर और गौ रक्षा जैसे मुद्दों को आपस में सुलझाकर पूरे भारत में गो हत्या करने वाले को मृत्यु दण्ड का ऐलान किया था। भारत के शासक गौ हत्या करने वालों को जब तक मृत्यु दण्ड नहीं देते थे तब तक चैन से नहीं बैठते थे। भगवान श्रीराम के पूर्वज गो हत्यारों को मृत्यु दण्ड दिये बिना चैन से अन्न-जल भी ग्रहण नहीं कर पाते थे। आज राम और कृष्ण के देश में हमें शासकों को पूर्ण गो हत्या बंदी के लिए कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है, यह हमारे लिए बहुत ही अपमानजनक और दुख का विषय है।

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कई राष्ट्रीय समाचार पत्रों के अनुसार आज सन् 2023 में राम राज्य की स्थापना की बातें करने वाले राष्ट्रवादी नेताओं शासकों के शासन में भारत माँस निर्यात में पिछले 10 वर्षों में दसवें स्थान से पूरी दुनिया में पहले स्थान को छूने जा रहा है। आये दिन गौ रक्षकों की हत्यायें हो रही हैं, पशु कत्लखानों को सब्सिडी दी जा रही है। जो गो पालक एवं साधू-संत कत्लखानों में जाने वाले गौ वंश को बचाकर उनकी सेवा करते हैं, झूठे आरोपों में उनको बलात्कार जैसे आरोपों में कारावास में डाला जा रहा है। जबकि मेडिकल रिपोर्ट में लड़की का कौमार्य सुरक्षित बताया जा रहा है। धर्मांतरण करने वाले गो माँस खाने और शराब पीने वाले गैर हिन्दू पंथ गुरुओं को जेल में डालने की हिम्मत सरकार में नहीं है। आज भारत में खुलेआम गौ माँस खाने की घोषणा हो रही है।

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पिछले कई वर्षों में अनेक साधू-संतों द्वारा अनेक जैन मुनियों द्वारा गो रक्षा के लिए सत्याग्रह उपवास करते हुए अपने प्राण त्याग दिये है। लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। हमें अपने सूत्रों से पता चला है कि भारत सरकार माँस निर्यात के बदले जीवित पशुओं को निर्यात करने की योजना बना रही है। यदि इसका स्पष्टीकरण भारत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री नहीं देते है और हमारी माँगों को दिनांक 31 दिसम्बर 2023 तक नहीं मानते हैं तो राम और कृष्ण को मानने वाली आम जनता, हिन्दू संगठन, साधू-संत, धर्मनिष्ठ कर्तव्यनिष्ठ, राष्ट्रवादी नागरिक आगामी होने वाले आम चुनाव में नोटा दबाकर राजनेताओं को पूर्ण गो हत्या बंदी के लिए विवश करेंगे।

हमारी माँगें हैं: -

1. सम्पूर्ण भारत में पूर्ण गौ हत्या बंदी लागू हो। गौ माँस खाने की खुली घोषणा करने वालों की सम्पूर्ण संपत्ति जब्त की जाये और उन्हें सभी सरकारी योजनाओं से वंचित किया जाए और ऐसे राजनतिक दलों की मान्यता हमेशा के लिए समाप्त की जाए। दुबारा गलती करने पर इन्हें मृत्यु दण्ड दिया जाए या उन्हें भारत से बाहर किया जाए।

2. संविधान का खुला उल्लंघन करके धर्म और पंथ के आधार पर भेदभाव करके सन् 2006 में अल्पसंख्यक मंत्रालय बनाया गया है। इसको तत्काल बंद करके गौ रक्षा मंत्रालय बनाया जाए। अब तक दी गई समस्त राशि वापिस गी पालकों, गोरक्षकों को दी जाए। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा धर्म और पंथ के आधार पर भेदभाव करने वाली सभी प्रकार की लाभ योजनाएँ तथा छूट सुविधाएँ बंद की जाए। गो रक्षा हेतु अनुभवी गो पालकों, गौ रक्षकों, साधू-संतों का आयोग बनाया जाए।



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