ग़ाज़ियाबाद। रविवार 4 जून। जया प्रयास हेल्प फाउंडेशन अपनी विस्थापित अनौपचारिक पाठशाला के 200 बच्चों और 50 कामगार बहनों के साथ मिलकर रोजाना सुबह स्कूल प्रबंधन की व्यवस्था कर यह नेक कार्य प्रारम्भ करता है। सभी अपने घर पर पकने वाली एक-एक रोटी गौ माता के नाम लाते हैं और मिलकर सभी एक साथ इस संकल्प सेवा अभियान से जुड़ जाते हैं। 

बूढ़ी, बेसहारा और बीमार गायों के लिए भोजन जुटाना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। समाज के सभी वर्गों का सहयोग इनको मिलना ही चाहिए। यह हमारे मानव धर्म और सेवाभाव की पराकाष्ठा है।

'बूंद-बूंद से घट भरे'

थोड़ा-थोड़ा जुटा कर भी बहुत हो जाता है। सो इस अभियान में सभी का सहयोग और स्वागत है। हमारे प्राचीन सांस्कृतिक नियम और प्रेम स्नेह भाव पहले बहुत सुन्दर और सुदृढ रहा है। आज उन्ही नियम संयम स्नेहिल साधना की आवश्यकता है।

व्यक्ति समाज से और समाज राष्ट्र से जुड़ा है तो सामाजिक चैतन्यता सदैव बनी रहनी चाहिए।

प्रकृति पशु-पक्षी सभी हमारी जरूरतमंद संसाधन हैं। हमारे अन्दर सेवाभाव और नि:स्वार्थ प्रेम अपनत्व होना ही चाहिए।

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यह सभी संस्कार नन्ही पीढ़ी को शैक्षिक मानवीय मूल्यों के साथ पढाये जाने चाहिए। 

बस यही एक पुरज़ोर प्रयास है जया प्रयास का कि सार सार को गति रहे थोथा देय उडाय। 

ईश्वरीय प्रार्थना और मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था हमारे अन्दर के जज्बे को जगाना ही हमारा शैक्षिक अनुदान है। 

यही एक पहल--

यही एक अनुदान 

शिक्षा के नाम--

अपनी विरासत

अपनी धरोहर 

और अपने जीव जन्तु से प्रेम और गौ-माता तो गौ-माता ही है उसके गुणों का बखान -बयान महज शाब्दिक नहीं पुरातन आस्था और विश्वास और संबल है। 

सो प्रणाम उन सभी गौ माताओं को भी जिन्होने मानवीय परवरिश मे हमारी तमाम जरूरतों को पूरा किया है।

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