नई दिल्ली : पुनीत माथुर। कोरोना महामारी को लेकर इस बार एक फरवरी को पेश होने वाली केंद्रीय बजट पर हर आमओखास की नजर है। जानकारों के मुताबिक इस बार के बजट से ज्यादा उम्मीदें तो नहीं लगाई जा सकती लेकिन सरकार ने कुछ न कुछ तो ऐसे उपाय किए ही होंगे जिससे विकास दर को फिर से पटरी पर लाया जा सके।
विशेषज्ञों की मानें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार बजट में सरकारी कंपनियों के निजीकरण की रूपरेखा पेश कर सकती हैं। इसके तहत सरकार गैर रणनीति क्षेत्र से संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी खत्म करेगी। हो सकता है सरकार आगामी वित्त वर्ष के लिए उन रणनीतिक क्षेत्रों के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की पहचान करेए जिनमें उसे बने रहना है। बीते बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भी नयी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ;पीएसईद्ध नीति को मंजूरी दे दी गई है।
केंद्र सरकार की मुहिम ' आत्मनिर्भर भारत' के तहत बीते साल मई में घोषणा की गई थी कि रणनीतिक क्षेत्रों में अधिकतम चार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ही रहेंगी। इनमें अन्य सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों का निजीकरण किया जाएगा। अब इस नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों की सूची को अधिसूचित किया जाएगा।
अन्य क्षेत्रों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का निजीकरण उनकी व्यवहार्यता के आधार पर किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि कि बजट में सीपीएसई के निजीकरण पर ध्यान दिया जाएगा। इससे सरकार अपने बढ़े हुए खर्च के लिए धन जुटा सकेगी।
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने सीपीएसई की अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री और शेयर पुनर्खरीद से 17957 करोड़ रुपये जुटाए हैं। पूरे वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।
बता दें कि देश में 249 परिचालन वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम हैं जिनका सामूहिक कारोबार 24 लाख करोड़ रुपये और नेटवर्थ 12 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से 54 सार्वजनिक उपक्रम शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।
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