🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏 


मित्रों आज के इन दो श्लोकों में भी भगवान श्री कृष्ण अपने ऎश्वर्यों का वर्णन कर रहे हैं ...


अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्‌ ।

पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्‌ ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 29)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान मैं सभी नागों (फ़न वाले सर्पों) में शेषनाग हूँ, मैं समस्त जलचरों में वरुणदेव हूँ, मैं सभी पितरों में अर्यमा हूँ, और मैं ही सभी नियमों को पालन करने वालों में यमराज हूँ। 


प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्‌ ।

मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्‌ ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 30)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण कह रहे हैं) - मैं सभी असुरों में भक्त-प्रहलाद हूँ, मै सभी गिनती करने वालों में समय हूँ, मैं सभी पशुओं में सिंह हूँ, और मैं ही पक्षियों में गरुड़ हूँ।  


आपका दिन शुभ हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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