🙏राधे राधे 🙏
प्रणाम मित्रों !
मित्रों आज का श्लोक भी मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय 'आत्मसंयम योग' से ही लिया है।
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा॥
(अध्याय 6, श्लोक 17)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) दुःखों का नाश करने वाला यह योग सम्यक् आहार-विहार करने वाले का, कर्मों में सम्यक् चेष्टा करने वाले का और सम्यक् प्रकार से सोने और जागने वाले का ही सिद्ध होता है।
शुभ दिन !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद
Post A Comment: