आज़ाद हूँ, आज़ाद था ,आज़ाद रहूँगा ।
माँ भारती के कल्ब में , आबाद रहूँगा ।।

माँ भारती के लाल हैं ,
जब तक जहान में।
जब तक सितारे, चाँद हैं,
 इस आसमान में।

ये देश है महफूज,
 कोई छू नही सकता।
है भावना बलिदान की,
जब तक जवान में।

मैं हिन्द की हर सांस का, सरताज रहूँगा।
आज़ाद हूँ, आज़ाद था, आज़ाद रहूँगा।।

मैं भगत सिंह, आज़ाद हूँ,
मैं ही सुभाष हूँ।
राणा, शिवाजी हूँ कहीं-
मंगल की आस हूँ।

घर-घर निवास है मेरा,
जन -जन में वास है।
लोगों तुम्हारे ही घरों-
 के, आस-पास हूँ।।

अपने पराये में सभी को याद रहूँगा।
आज़ाद हूँ, आज़ाद था,आज़ाद रहूँगा।।

मैं दुश्मनों को चैन से,
सोने नहीं दूंगा।
माँ भारती को मैं कभी,
रोने नहीं दूंगा।

विघटन की सारी कोशिशें,
नाकाम करूँगा।
हाँ, नफरतों के बीज ,
मैं बोने नहीं दूंगा।।

झंडे-तिरंगे की सदा परवाज रहूँगा।
आज़ाद हूँ, आज़ाद था, आज़ाद रहूँगा।।

सौहार्द आता प्रेम से,
प्रतिकार से नहीं।
कर्तव्य से चलता वतन,
अधिकार से नहीं।

किस भूल में हो रहबरों,
जनता पे ध्यान दो।
हमसे है ये सरकार,
हम सरकार से नहीं।।

भूलोगे तुम बलिदान तो बर्बाद रहूँगा।
आज़ाद हूँ, आज़ाद था,आज़ाद रहूँगा।।

सड़कें पुती हैं शहर भी,
मुगलों के नाम से।
वो कोसती हैं रोज ही-
हमको गुलाम से।

इनके हटाओ नाम तुम,
रख दो शहीद के।
सिर गर्व से उन्नत हो,
सीना फूले नाम से।।

जज्बा जगाऊँगा , कहीं साक्षात् रहूँगा।
आज़ाद हूँ,आज़ाद था, आज़ाद रहूँगा।।

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