आसमां को रात भर ताकना
उसकी खाली सी आँखों को
बहुत भाता था

आसमाँ उसे ऐसे लगता जैसे
किसी अप्सरा के पनियाले नीले आँचल पर
टांक दिए हो दूधिया मोती
उसकी नज़रें उन मोतियों को चुन
जैसे
पलकों पे सजा लेना चाहती थी

और पूनम की झक्क सफ़ेद रोशनी में नहाकर लगता था
जैसे मोगरे से खिल उठेंगे सारे बेरंग ख्वाब अभी

चाँद के माथे पर उसे लिखना था एक बूंद इश्क
उन आंखों को मगर
सबसे ज्यादा खींचता था टूटता तारा
जिसे देखकर वह कभी आंखे बंद कर
नहीं मांग सकी कोई मन्नत कभी

वह नापती थी आसमाँ का मीलों लम्बा रास्ता
ताकि एक दिन बन जाये वो खुद एक टूटता तारा
और किसी सूनी आँखों वाली लड़की की आंखों में
भर सके चांदनी में नहाये रंग-बिरंगे ख्वाब...

और इस तरह और ज्यादा खूबसूरत हो खाली आँखों का आसमानी सफर..
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