कोलकाता : पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल से गंभीर संकट पैदा हो गया है। पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल तहस नहस हो गई है। समुचित इलाज नहीं मिलन से मरीज काफी परेशान हैं। एक बच्चे की मौत भी हो गई है। राज्य भर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों से करीब 500 से अधिक डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। उधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया है। उन्होंने शुक्रवार को भी बुलाया था लेकिन डॉक्टरों ने यह कहते हुए वार्ता करने से ठुकरा दिया था कि यह उनकी एकता को तोड़ने की एक चाल है।
सीनियर डॉक्टर सुकुमार मुखर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को डॉक्टरों के नहीं आने पर उन्हें शनिवार शाम 5 बजे राज्य सचिवालय नाबन्ना में मिलने का समय दिया। मुखर्जी, आंदोलन में शामिल नहीं हुए अन्य सीनियर डॉक्टरों के साथ ममता से मिलने गए और इस समस्या का हल निकालने के लिए सचिवालय में मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक बैठक की। ममता ने चार दिनों से मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सामान्य सेवाओं को बाधित करने वाले गतिरोध का हल खोजने के लिए बैठक बुलाई थी।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक ममता ने मेडिकल एजुकेशन के निदेशक प्रदीप मित्रा 3-4 जूनियर डॉक्टरों को बैठक के लिए सचिवालय में बुलाने के लिए कहा था। हालांकि जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के एक प्रवक्ता ने कहा, 'यह हमारी एकता और आंदोलन को तोड़ने की चाल है। हम राज्य सचिवालय में किसी बैठक में शिरकत नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री को यहां (एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) आना होगा और एसएसकेएम अस्पताल के दौरे के दौरान उन्होंने हमें जिस तरह से संबोधित किया, उसके लिए बिना शर्त माफी मांगनी होगी।'
ममता ने बृहस्पतिवार को एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करते वक्त कहा था कि बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में गतिरोध पैदा करने के लिए यहां घुस आए हैं और यह आंदोनल सीपीएम तथा बीजेपी का षडयंत्र है। जूनियर डॉक्टर एक रोगी के परिजन द्वारा डॉक्टर से मारपीट के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं।
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