लोगों में रक्तदान करने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है  । 

खून की एक बूंद किसी की जिंदगी बचा सकती है। खून के बिना बॉडी मांस और हड्डियों से बना सिर्फ एक कंकाल रह जाता है। देश और दुनिया में हजारों लोग खून की कमी के कारण अपनी जान गवां देते हैं। जरूरतमंद को समय पर अगर खून मिल जाए तो किसी की जान को बचाया जा सकता है। हर दिन हजारों लोग सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं और उनका सारा खून बह जाता है । 

ऐसे मरीजों को अगर समय पर इलाज नहीं मिले और बॉडी में खून की कमी पूरी नहीं हो तो उनकी जान भी जा सकती है।

लोगों में रक्तदान करने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। 

ब्लड डोनेशन एक दर्द रहित क्रिया है जो किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचा सकती है। 

विश्व भर में इस दिन को मनाने का मकसद सभी को रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है  ताकि अधिक लोगों की जान बचाई जा सके। कोई भी व्यक्ति 300 से 400 मिली लीटर रक्त दान कर सकता है।

रक्त दाता जितना खून दान करता है उसे शरीर  21 दिन मे फिर से बना लेता है  । हर स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 साल के बीच में है वो रक्त दान कर सकता है  । 

कई बार सेहत में ऐसी जटिलताएं आ जाती है कि तुरंत खून की जरूरत होती है ऐसी स्थिति में रक्तदान एक सक्रिय भूमिका निभाता है  । 

जीवन को बचाने, रोगी की सर्जरी में मदद, कैंसर के उपचार, क्रॉनिक बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरों के लिए रक्तदान आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट है कि दुनिया भर में लगभग 118.54 मिलियन रक्तदान एकत्र किया जाता हैं। इनमें से लगभग 40% उच्च आय वाले देशों में एकत्र किया जाता हैं  । 

जहां दुनिया की 16% आबादी रहती है। 169 देशों में लगभग 13,300 रक्तदान केंद्र कुल 106 मिलियन दान एकत्र करने की रिपोर्ट करते हैं।

रक्त दाता दिवस पहली बार मई 2005 में 58 वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में शुरू किया गया था। 

विश्व रक्त दाता दिवस कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिनका जन्म 14 जून 1868 को हुआ था। कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में 14 जून को आयोजित एक वार्षिक आयोजन के रूप में विश्व रक्त दाता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। कार्ल लैंडस्टीनर को ब्लड ग्रुप ABO सिस्टम की खोज करके स्वास्थ्य विज्ञान में उनके अपार योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

आलेख :  डॉ. एस के शर्मा,  चर्म रोग विशेषज्ञ , आयुष स्किन क्लिनिक, मोदी नगर

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