नई दिल्ली : पुनीत माथुर। असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने सभी सरकार द्वारा संचालित मदरसों को सामान्य शिक्षा संस्थानों में परिवर्तित करने के लिए विधानसभा से पारित ‘द असम रीपलिंग एक्ट 2020’ को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
असम के स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा आदि मामलों के मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने इस कदम को ऐतिहासिक और प्रगतिशील करार दिया है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद गत 30 जनवरी को ही बिल का गजट हुआ था। लेकिन सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा बुधवार को हुआ है।
डॉ. विश्वशर्मा ने बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा,“ऐतिहासिक और प्रगतिशील! खुशी है कि द असम रीपलिंग एक्ट 2020’ ने राज्यपाल की सहमति प्राप्त कर ली है और यह प्रभावी हो गया है। मदरसा एजूकेशन सरकारीकरण अधिनियम, 1995 और असम मदरसा शिक्षा अधिनियम, 2018 निरस्त हो गया है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि सभी सरकारी मदरसे सामान्य शिक्षण संस्थान की तरह संचालित होंगे।
उल्लेखनीय है कि इस बिल को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने विधानसभा के अंदर और बाहर जमकर विरोध किया था। दोनों पार्टियों ने सरकार पर इसके जरिए अल्पसंख्यक समाज के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था।
हालांकि, सरकार ने सभी स्तर पर विपक्ष के आरोपों का उत्तर देते हुए इसे गैर जरूरी बताते हुए समाज में भेद न करने वाला बताते हुए कहा था कि सरकारी पैसे से किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती। साथ ही कहा कि निजी मदरसा पूर्व की तरह चलते रहेंगे। उसके लिए कोई मनाही नहीं है। सिर्फ सरकारी मदरसों को ही सामान्य शिक्षण संस्था के रूप में तब्दील किया जा रहा है।
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