🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏
मित्रों आज का ये सुंदर श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही ...
नियतं सङ्गरहितम रागद्वेषतः कृतम् ।
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते ॥
(अध्याय 18, श्लोक 18)
इस श्लोक का भावार्थ : (श्री भगवान कहते हैं) - जो कर्म शास्त्रविधि से नियत किया हुआ और कर्तापन के अभिमान से रहित हो तथा फल न चाहने वाले पुरुष द्वारा बिना राग-द्वेष के किया गया हो- वह सात्त्विक कहा जाता है।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत माथुर
ग़ाज़ियाबाद।


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