🙏राधे राधे 🙏

प्रणाम मित्रों !

मित्रों आज का श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय 'ज्ञान विज्ञान योग' से ही है ....

चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन ।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ ॥
(अध्याय 7, श्लोक 16)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन ! उत्तम कर्म करने वाले अर्थार्थी (सांसारिक पदार्थों के लिए भजने वाला), आर्त (संकटनिवारण के लिए भजने वाला) जिज्ञासु (मेरे को यथार्थ रूप से जानने की इच्छा से भजने वाला) और ज्ञानी- ऐसे चार प्रकार के भक्तजन मुझको भजते हैं।

आपका दिन शुभ हो !

पुनीत माथुर  
ग़ाज़ियाबाद
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