ग़ाज़ियाबाद : बृजेश कुमार। बृहस्पतिवार 18 अप्रैल को आर्य समाज अवंतिका यज्ञ योग कार्यशाला दयानन्द पार्क में रामनवमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया।
आचार्य डॉ सुश्रुत सामाश्रमी के ब्रह्मत्व में महायज्ञ हुआ जिसमे मुख्य यज्ञमान जगदीश आर्य के सुपुत्र सतीश आर्य एवं नूतन आर्य रहे।
सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पंडित कुलदीप विद्यार्थी द्वारा श्रीराम महिमा के मनमोहक भजनों की प्रस्तुति की गई। जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण अष्टमी को, श्रीराम नवमी को, महर्षि दयानंद दसवीं को पैदा हुए थे। महर्षि दयानंद ने बताया था कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगीराज श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के प्रकाश स्तंभ हैं।
पानीपत से आये मुख्य वक्ता ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें राम के समान एक पत्नीव्रती, भ्रातृप्रेमी, न्यायकारी, मातृभूमि से प्रेम करने वाला, प्रजावत्सल, तपस्वी, संयमी, जातिगत भेदभाव से रहित, प्रसन्नवदन, दूसरों के गुणों का बखान करने वाला, ज्ञानवान्, वीर, शान्त, पितृभक्त होना चाहिये। नौं लाख वर्षों से आर्यजाति श्रीराम को अपना आदर्श मानती है। विश्व के इतिहास में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का कोई सानी नज़र नहीं आता। उनका जीवन विश्व के प्रत्येक मानव के लिये अनुकरणीय है।
संरक्षिका डॉ प्रतिभा सिंघल ने कहा आधुनिक छात्राएं श्री रामचंद्र जी को अच्छा नहीं मानती क्योंकि उन्होंने सीता का पारित्याग कर दिया था। जबकि सीता परित्याग का वर्णन ना तो बाल्मीकि रामायण में है और ना ही रामचरितमानस में। महाकवि भवभूति ने अपने उत्तररामचरित नाटक में सीता परित्याग का वर्णन किया है। इसे रामचंद्र जी के चरित्र से नहीं जोड़ना चाहिए।
पार्षद मनोज त्यागी ने कहा कि हम अपने बच्चों को राम और कृष्ण तो बनाना चाहते हैं पर वैसे संस्कार नहीं दे रहे। फिर कैसे वैसी संतान की कल्पना करते हैं।
सभा का संचालन प्रधान वेद प्रकाश तोमर ने किया। उन्होंने कहा हमें संस्कारों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम में सहयोग एवं बढ़चढ़ कर भाग लेने के लिए सतीश बधानी, सरोज बधानी, एसपी सिंह, देवेंद्र तोमर, सुरेंद्र सिंह, सुरेंद्र पाल सिंह, बीपी सिंह, संजीव आर्य, राजीव बिश्नोई, हरि प्रकाश, हृदेश कंसल भोपाल सिंह आदि सभी को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री प्रेम पाल सिंह, मनोज त्यागी, आशा आर्या, सत्य पाल आर्य, ज्ञान प्रभा बंसल, रेखा गर्ग, कृपाल सिंह, कविता राठी, तेजपाल आर्य एवं त्रिलोक शास्त्री आदि मौजूद रहे।
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