नई दिल्ली : पुनीत माथुर। भारत में प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक संगठन- सिख फॉर जस्टिस ने संयुक्त राष्ट्र को चंदा दिया है। खालिस्तान समर्थक संगठन एसएफजे यानी सिख फॉर जस्टिस ने संयुक्त राष्ट्र को करीब 7 लाख रुपए का चंदा दिया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के लिए हाई कमिश्नर के प्रवक्ता ने सिख फॉर जस्टिस से चंदा लेने की पुष्टि की है।
एसएफजे कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारी किसानों के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार की जांच के लिए एक कमिशन ऑफ इंक्वायरी गठित करने की लॉबिंग कर रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमें एक मार्च को एसएफजे के लोगों से ऑनलाइन 10 हजार डॉलर चंदा मिला है। आमतौर हम उन लोगों या संस्थाओं के चंदे को तब तक अस्वीकार नहीं करते हैं जब तक कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित न कर दिया गया हो।’
अमेरिका में रहने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नून ने कहा है कि सिख समुदाय की ओर 13 लाख डॉलर देने का वादा किया गया है ताकि संयुक्त राष्ट्र की ओर से जांच आयोग का गठन किया जा सके। यह आयोग भारत की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए गए राष्ट्रद्रोह और हिंसा के आरोपों की जांच करेगा।
अमेरिका में रहने वाला गुरपतवंद सिंह पन्नून, जो कि खालिस्तान समर्थक एसएफजे का जनरल काउंसेल है, वही इसके पीछे बताया जा रहा है। भारत की ओर से आतंकी घोषित हुए गुरपतवंद सिंह पन्नून ने ही भारत में प्रद्रशनकारी किसानों के खिलाफ कथित हिंसा और राजद्रोह केसों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र से कमीशन ऑफ इंक्यावरी गठित करने की मांग की है और उसका दावा है कि इसके लिए सिख समुदाय ने 13 लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब 9,44,96,02 रुपए दान देने की बात कही है।
भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह को आतंकी घोषित कर रखा है और यह सिख फॉर जस्टिस संस्था का महासचिव है। यही सिखों को लेकर जनमत संग्रह करा रहा है। गुरपतवंत सिंह ने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है, संयुक्त राष्ट्र ने आयोग की स्थापना नहीं की है लेकिन हम इस पूरे मामले को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के लिए बनाए गए हाई कमिश्नर कार्यालय के जरिए उठा रहे हैं।
यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से भारत में ऐसी किसी कमीशन को गठित करने की योजना नहीं है। उन्होंने कहा, ज्यादातर कमीशन ऑफ इंक्वायरी का गठन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 47 सदस्यों की विशेष मत के बाद होता है।
साथ ही इसके लिए सुयुक्त राष्ट्र की ओर से बजट भी तय होता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि किसी खास गतिविधि के लिए संयुक्त राष्ट्र किसी व्यक्ति या संठन के दान देने मात्र से तैयार नहीं हो जाता।
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