नई दिल्ली : पुनीत माथुर। न्यूज़ लाइव टुडे के साहित्य सरोवर में आज एक बार फिर पेश है हरदिल अज़ीज़ कवियत्री और शायरा ममता चौधरी की रचना 'मेरा पता' -

रेज़ा रेज़ा बिखरे हैं
क्यूँकर हमे समेट पाओगे ?

ज़ख्मी है रग-रग
कहो कैसे मरहम लगाओगे ? 

लफ्ज़ डूबे हैं सर्द खामोशी में
किन अल्फ़ाज़ों में अफ़साना कोई सुनाओगे ?

मुद्दतें बीतींं आगोश में तन्हाई के
महफ़िल में अपनी, क्या इक बुत बुलाओगे ?

दर्द सी हो गई है तासीर कब से
बारहा इस बात पर भी क्या मुस्कुराओगे ?

खफ़ा है नींदे रातों से मेरी
रतजगों को क्या खाब सितारों का दिखलाओगे ?

गिरहें खोलने का हुनर नही मुझमें
उलझनों में सुकूँ तुम भी क्या गवाओंगे ?

जिंदगी से वफ़ा न निभाई गई हमसे
है कौन ख़ता ज़माने में जो न गिनवाओगे ?

मैं यूँ हासिल रहूं तुमको
तब क्या अपना हासिलात जान पाओगे ?

अरसे से मयस्सर कोई मुलाकात न हुई
कहो पता कोई मुकम्मल मेरा बताओगे ??
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