साहिबाबाद : बृजेश श्रीवास्तव। रविवार 26 मार्च। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र के महीने से होती है। हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर भारतीय नववर्ष मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि की रचना भी हुई थी। इसी दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाता आया है। साल में एकमात्र ये ऐसा दिन होता है जब स्वयंसेवक संघ के संस्थापक को आद्य सरसंघचालक प्रणाम करते हैं। इस वर्ष भी गाजियाबाद विभाग सहित देश भर में विभिन्न स्थानों पर वर्ष प्रतिपदा के कार्यक्रम आयोजित किये गए। इसी क्रम में हरनंदी महानगर के वीर सावरकर शाखा (यमुना बस्ती) इन्दिरापुरम मध्य (सुदर्शन भाग) में भी हर्षोल्लास के साथ यह उत्सव मनाया गया। मुख्य वक्ता के उदबोधन के पश्चात पथ संचलन किया गया जो कि रानी अवन्ति बाई (हाथी वाला) पार्क नीति खण्ड-1 से प्रारंभ होकर मंगल बाजार चौक होते हुए एटीएस सोसाइटी के सामने से निकलकर सोम बाजार जैन मंदिर के सामने से आकर पुनः रानी अवंति बाई पार्क पहुंचकर सम्पन्न हुआ।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रान्त प्रचार प्रमुख सुरेंद्र ने अपने उदबोधन में कहा कि संघ प्रमुख रूप से छः उत्सव मनाता है। उन्हीं में से एक वर्ष प्रतिपदा का उत्सव भी सभी शाखाओं पर मनाया जाता है। इसी दिन संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिन भी है। इसलिए संघ की शाखा लगने से पहले वर्ष में एक बार आद्य सरसंघचालक प्रणाम किया जाता है। चूंकि डॉ. हेडगेवार ने स्वयं कहा था कि संघ में व्यक्ति की पूजा नहीं, भगवा ध्वज लगने के बाद शाखा पर किसी व्यक्ति को प्रणाम नहीं किया जाता। इसलिए शाखा लगने से पहले आद्य सरसंघचालक प्रणाम किया जाता है। 

उन्होंने नव वर्ष विक्रम संवत 2080 और युगाब्द 5125 की शुभकामनाएं देते हुए काल गणना के अनुसार सृष्टि के प्रथम दिन पौराणिक ऐतिहासिक प्राकृतिक दृष्टि से नव वर्ष का महत्व समझाया।

स्वतंत्रता आंदोलन में डॉक्टर हेडगेवार एवं संघ के योगदान के साथ संघ की स्थापना की आवश्यकता उद्देश्य एवं कार्य विस्तार के बारे में भी जानकारी दी। संघ के द्वारा चरित्रवान शक्ति संपन्न राष्ट्रभक्त स्वयंसेवकों का शाखाओं द्वारा निर्माण कर समाज जीवन की सभी समस्याओं का समाधान एवं समाज को एकजुट बनाने पर बल दिया। संघ जाति, भाषा, पंथ, मत, मान्यताओं से ऊपर उठकर एक सूत्र में बंधा राष्ट्र समाज बनाने के लिए 98 वर्षों से प्रयत्नरत है। वर्तमान समस्याएं जल संरक्षण, पर्यावरण, प्लास्टिक, गौ-सेवा आदि पर सकारात्मक सोच के साथ कार्य करने पर बल दिया। हर गांव में एक कुआं, एक श्मशान, एक मंदिर की अवधारणा तथा सबके सुख की कामना के साथ विश्वकल्याण की भावना से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। विश्व पटल पर भारत के बदलते स्वरूप, स्वभाव और भूमिका की जानकारी दी।

कार्यक्रम में स्वयंसेवक ताराचंद ने देशभक्ति से परिपूर्ण एकल गीत का गायन भी किया।

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संघ कार्य वर्तमान में भारत के 60 हजार से अधिक गांव व शहरों में चल रहा है तथा विश्व के लगभग 44 देशों में विविध नामों से कार्य कर रहा है। 2025 शताब्दी वर्ष तक एक लाख गांवों तक संघ की शाखाएं पहुंचाने का लक्ष्य बनाकर कार्य करने का आह्वान किया। संघ कार्य की स्वीकार्यता और समाज का सहयोग स्पष्ट करता है कि संघ का मार्ग कल्याण व विश्व शांति का है और सभी समस्याओं के समाधान का है। हम मान-अपमान, यश-अपयश से ऊपर उठकर कार्य करते रहे हैं। "सर्वे भवंतु सुखिनः" तथा "वसुधैव कुटुंबकम" के भाव के साथ एकजुट होकर कार्य विस्तार करना होगा। 

इस अवसर पर नगर कार्यवाह अमरीश व अन्य पदाधिकारी के साथ-साथ लगभग 100 पूर्ण गणवेशधारी एवं 30 सामान्य वेश में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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