जय श्री राधे कृष्ण 🌹🙏 


मित्रों आज का श्लोक  श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय 'विभूति योग' से ही .....


मच्चित्ता मद्गतप्राणा बोधयन्तः परस्परम्‌ ।

कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति च ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 9)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं ) - जिन मनुष्यों के चित्त मुझमें स्थिर रहते हैं और जिन्होने अपना जीवन मुझको ही समर्पित कर दिया हैं, वह भक्तजन आपस में एक दूसरे को मेरा अनुभव कराते हैं, वह भक्त मेरा ही गुणगान करते हुए निरन्तर संतुष्ट रहकर मुझमें ही आनन्द की प्राप्ति करते हैं।  


सुप्रभात ! 


पुनीत कुमार माथुर  

ग़ाज़ियाबाद



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