🙏राधे राधे 🙏

आप सभी को प्रणाम मित्रों !

आप सभी को ये बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आज आप सभी से श्रीमद्भगवद्गीता के इस अद्भुत ज्ञान को बांटते हुए मुझे तीन महीने पूरे हो रहे हैं । जब तक प्रभु की इच्छा होगी मैं प्रतिदिन इसी तरह इस ज्ञान को बांटता रहूंगा। 

आज का श्लोक भी मैंने  श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय 'आत्मसंयम  योग' से ही लिया है।

तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः ।
कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन ॥
(अध्याय 6, श्लोक 46)

इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है, शास्त्रज्ञानियों से भी श्रेष्ठ माना गया है और सकाम कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है। इससे हे अर्जुन ! तू योगी हो।

आपका दिन शुभ हो !

पुनीत माथुर  
ग़ाज़ियाबाद
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