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अंतर्राष्ट्रीय संस्था 'सुपर्णा' की नींव प्रख्यात नवगीतकार और बहुआयामी व्यक्तित्व स्व. शंभू प्रसाद श्रीवास्तव ने 1969 में कलकत्ता मे रखी।

'सुपर्णा' ने तत्कालीन भारतीय साहित्य वांगमय में अपने अभिनव क्रिया कलापों और रचनात्मकता से नये विमर्श को जन्म दिया। एक रचनाकार की प्रतिभा और सृजन अभावों के भार तले दम तोड़ देते हैं। यह और अधिक कारुणिक तब हो उठती हैं गुलाब के पौधे तले जैसे कोई अन्य पौधा विकसित नही हो सकता छत्रप भाव की क्रूर विद्रुपता ऐसे ही नवकोपलों परंतु सशक्त अभिव्यक्तियों से सहज समर्थन और प्रेरणा की अबोध अपेक्षाएँ तक छीन लेती है और विवश होती है रचनात्मकता असामयिक आत्महत्या को। सृजन के ब्रह्म तत्व का इससे बडा़ उपहास और अपमान क्या हो सकता है।


'सुपर्णा' के संस्थापक कवि स्व.शंभू प्रसाद जी के शब्दों में "एक साहित्यकार की एकमात्र जमा पूंजी  है उसका स्वाभिमान उसका आत्म गौरव......" (द्रष्टव्य: 'राजेन्द्र यादव मार्फत मनमोहन ठाकौर पृ.सं.142) । 

बाद में 'सुपर्णा' ने भारतीय भाषाओं की 14 पुस्तकों को उसकी मूल भाषा के साथ हिन्दी अनुवाद संग छापा, बेचा और शत प्रतिशत पैसे संबंधित रचनाकार को दिए। 

'सुपर्णा' अपने तमाम स्वप्नों के साथ ही गर्दो गारद में डूब गई,अपने संकल्पनाकार कवि शंभू प्रसाद की मृत्यु के साथ।

स्वप्न निमलीत चेतना का पुनर्जागरण:
और सहसा प्रारब्ध ने करवट ली और मनीषि, विदुषी और बहुआयामी व्यक्तित्व श्रीमती अनामिका 'अर्श' की प्रेरणा से पौराणिक फीनिक्स के नवजीवन सी चेतना स्फूर्त हुई। 'सुपर्णा' नवजाग्रत हुई पुनः उसी संकल्पना के साथ। 

इसमें साथ दिया श्री अविनाश गुप्ता (कोलकाता), श्रीमती सारिका सक्सेना (अलीगढ़) और आशीष मिश्रा (लंदन) ने।

'सुपर्णा' आज यह महती - महती उद्देश्य और संकल्प धारण करती है कि आधुनिक संचार पटल के माध्यम से मौलिक सर्जनात्मकता को देश और अंतर्राष्ट्रीय जगत के जन - जन तक पहुँचाया जाए।


कल्पना: 
सुपर्णा अपने संकल्प पथ पर अग्रसर होने हेतु कुछ उद्देश्य निर्धारित करती है यथा

1. कला और साहित्य को श्रेणी बद्ध कर तत्संबंधित विधा जीवियों के रचनाकर्म को प्रोत्साहित करना।
2. इसे मुख्य दो श्रेणियों में विभाजित करते हैं ...
(क) लेखन
(ख) दृश्य

(क) लेखन वर्ग :
(अ) काव्य रचना----गीत/गज़ल (अलग-अलग)
(ब) लघु कथा
(स) लोक साहित्य/लोकगीत

(ख) दृश्य वर्ग :
(अ) एकल काव्य पाठ
(ब) एकल अभिनय
(स) लोक संगीत
(द) गीत-संगीत

3. इन विधा जीवियों की प्रतिभाओं का आंकलन मासिक स्तर पर उस विधा के गणमान्य चयनकर्ताओं द्वारा माह की श्रेष्ठतम प्रविष्टि के तौर पर की जायेगी और उन्हे प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाएगा।

4. सारी प्रविष्टियाँ निःशुल्क होंगी।

अपने संक्षिप्त प्रयासों के साथ सुपर्णा अग्रसर होने का आशीर्वाद आप श्रेष्ठ जनों से माँगती है और आपके बहुमूल्य सुझाव भी।

अपने संकल्पित उद्देश्य के क्रम में बच्चों की रचनात्मकता के पल्लवन हेतु  8 से 16 वर्ष के बच्चों की कविता/लघु कथा लेखन प्रतियोगिता आयोजित है, काव्य संध्या में अनवरत एकल काव्य पाठ। जिसमें राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों ने उपस्थिति दी है, यथा, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के नवासे डा.विवेक रंजन पाण्डेय, राकेश मधुकर, महीयसी महादेवी जी के भतीजे आचार्य संजीव वर्मा, सुश्री रेनू श्रीवास्तव, अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व और हार्वर्ड, कैंब्रिज  अनेकों विश्विद्यालयों में अपने शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले व संवेदनशील साहित्यका व प्रकाशित साहित्यिक पुस्तकों के रचनाकार डा. राजीव रंजन द्विवेदी, देश के लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार डा. सूर्य कुमार पांडे, अंतर्राष्ट्रीय फिल्मकार, निर्देशक, अभिनय प्रशिक्षक और संवेदनशील साहित्यकार डा.सतीश चित्रवंशी आदि और अनेकों गणमान्य आगन्तुक । 

अपने अगले क्रम में 'सुपर्णा' अपने पटल पर अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को हिन्दी अनुवाद के साथ लाने के गंभीर प्रयास में जुटी है। 

संयोजक/ संचालक :
वरिष्ठ साहित्यकार श्री कमल नयन
अनामिका 'अर्श', साहित्यकार/पत्रकार/कलाकार/समाजसेविका
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