नई दिल्ली : पुनीत माथुर। हाल ही में आयोजित समाधी शतक महोत्सव में महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने पाथरी गांव को साईं बाबा का जन्म स्थान बताते हुए वहां के विकास के लिए सौ  करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। लेकिन सीएम ठाकरे के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया।

शिरडी साईं बाबा की जन्मस्थली को लेकर शिरडी और परभनी जिले के पाथरी गांव के लोग आमने-सामने आ गए हैं और दोनों अपने अलग-अलग दावे पेश कर रहे हैं।

इस विवाद के चलते रविवार को शिरडी में बंद बुलाया गया, विरोध प्रदर्श हुआ। लोग भारी संख्या में सड़को पर उतर आए । सुबह से ही पूरे इलाके में सभी दुकाने बंद रहीं। लेकिन इस दौरान यहां साई बाबा का मंदिर खुला रहा और  श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

उधर शनिवार शाम को एक  आधिकारिक विज्ञप्ति में इस बात की जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे साईंबाबा के जन्मभूमि को लेकर जन्में विवाद को सुलझाने के लिए लोगों से बातचीत करेंगे।

शिरडी साईं नगर गांव के लोगों का कहना है कि, मुख्यमंत्री पारथी गांव में 100 करोड़ नहीं बल्कि 200 करोड़ का विकास काम करें उस पर आपत्ति नहीं है, लेकिन उस जगह को शिरडी का जन्म स्थान बताना यह शिरडी गांव के लोगों को मान्य नहीं है। पारथी गांव साईं बाबा का जन्म स्थान के रूप में जाना जाए यह उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा।

गांव वालों का कहाना है कि साईं बाबा ने शिरडी आने के बाद कभी अपना असली नाम गांव, जाति,  धर्म के बारे में नहीं बताया। इसीलिए आज वह सभी धर्मों के लिए सर्वधर्म समभाव के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने दावा किया कि इसके पहले भी साईं बाबा के माता-पिता को लेकर झूठे दावे किए जा चुके हैं।

शिरडी के साईं बाबा के संबंध में ऐसी मान्यता है कि शिरडी के साईं बाबा का जन्म 1838 से 1842 के बीच हुआ था। वो एक फकीर और साधू जैसी जिंदगी जीते थे। शिरडी में आने के बाद ही उन्हें साईं नाम दिया गया। शिरडी की पुरानी मुस्जिदों और मंदिरों में रहने वाले साईं के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते थे।

साईं 16 साल की उम्र में शिरडी आए थे और चिरसमाधि में लीन होने तक इसी जगह रहे थे। 1918 में उन्होंने अपनी देह का त्याग कर दिया था। देह त्यागने के बाद श्रद्दालु ऐसा कहने लगे कि साईं एक बच्चे के रूप में 8 साल बाद फिर लौटेंगे।


साईं बाबा की मृत्यु के ठीक 8 साल बाद सत्य साईं बाबा का जन्म हुआ। सत्य साईं बाबा को शिरडी के साईं बाबा का ही अवतार माना जाता है। सत्य साईं का जन्म आंध्र प्रदेश के पुट्टुपार्थी में 1926 में हुआ था। सत्य साईं को 13 साल की उम्र में श्रद्धालुओं ने पहली बार साईंं के रूप में स्वीकार किया। अपने चमत्कारों से श्रद्दालुओं को अभिभूत करने वाले सत्य साईं बाबा की  2011 में मृत्यु हो गई।

सत्य साईं बाबा की मृत्य के बाद ऐसी भविष्यवाणी होने लगी कि साईं बाबा एक बार फिर धरती पर अवतरित होंगे। साईं के अगले अवतार को प्रेमा साईं बाबा कहा जाएगा जिनका जन्म कर्नाटक के किसी जिले में होगा।


इतना ही नहीं, भविष्यवाणी में प्रेमा साईं बाबा के जन्म का समय भी निश्चित किया गया है। ऐसी मान्यताएं हैं कि प्रेमा साईं बाबा 2023 से 2025 के बीच धरती पर लौटेंगे। यही साईं बाबा का आखिरी अवतार होगा। 
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